1-डॉ सुधा गुप्ता
1
चौबीसों घण्टे
पागल-सा नाचता
मैट्रो शहर ।
2
हर रात को
ज़ख्मी कर छोड़ता
कोई हादसा ।
3
महानगर
मातृत्व बोझ बना
जन्म दे, फेंका ।
4
महानगर
लुटेरों की दुनिया
खोई मुनिया ।
5
कैसा त्योहार
मोबाइल ने किया
जीना दुश्वार ।
6
जाने क्या खोया
हर पल खोजता
महानगर ।
7
बदहवास
फिरकी –सा घूमता
मेरा शहर ।
8
मौत झपट्टा
जीवन के सपने
खाक़ में मिले ।
-0-
2-ज्योत्स्ना शर्मा
1
जिए जा रहा
ले के पीड़ा नगर
गाँव की घनी ।
2
बने जो रिश्ते
समझ ही न आया
कौन पराया ।
3
सजे सपने
शहरी धूल -धानी
हुए अपने ।
4
दिल तो वही
शहर में लगाया
गाँव से आया ।
5
घर से दूर
अनगिन उम्मीदें
बसा शहर ।
-0-
3-सुभाष लखेड़ा
1
मेरा शहर
जागता रहता है
आठों पहर।
2
शहर आया
मैंने देखे सपने
खोये अपने।
3
भीड़ के बीच
शहर का इंसान
बना सामान।
-0-
4-ज्योत्स्ना 'प्रदीप'
1
पढ़े हथेली
ऊँचे से भवनों की
नभ-ज्योतिषी।
2
पल में बनी
छोटी -सी बालकनी
पुष्प वाटिका।
3
हवा हया से
हुई बेहाल ,देख
मेट्रो की चाल।
4
पिता -से पालें
ये विश्वविद्यालय
नए-उजाले ।
-0-
5- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
आँखों में ख्वाब
सुनहरे कल के
जागे शहर ।
-0-
6-प्रियंका गुप्ता
1
शहर ने दी
सपनों की उड़ान
सूर्य तलक ।
-0-
7-अनिता ललित
1
है हड़ताल!
ग़रीब के पेट का
पूछो न हाल।
ग़रीब के पेट का
पूछो न हाल।
2
बढ़ी है भीड़
हुआ है चक्का जाम
छाया आक्रोश ।
3
सुर्ख़ी में छाए
डॉक्टरों के धरने,
जीवन लीलें।
डॉक्टरों के धरने,
जीवन लीलें।
4
संवेदनहीन
शहर की गलियाँ
सुनें न पीर।
शहर की गलियाँ
सुनें न पीर।
5
छूटता साथ,
हंगामा -भगदड़
शहरी बात।
हंगामा -भगदड़
शहरी बात।
-0-
सभी कलमकारों की मार्मिक अभिव्यक्ति बहुत मन भायी . सभी को बधाई.
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ReplyDelete6
जाने क्या खोया
हर पल खोजता
महानगर ।
7
बदहवास
फिरकी –सा घूमता
मेरा शहर । ….
आँखों में ख्वाब
सुनहरे कल के
जागे शहर ।
1
शहर ने दी
सपनों की उड़ान
सूर्य तलक ।
नगरीय जीवन की एकदम सच्ची तस्वीर बयान करते हाइकू बहुत सुन्दर हैं … सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!
ज्योत्स्ना प्रदीप, डॉ०ज्योत्स्ना शर्मा, प्रियंका गुप्ता सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!
ReplyDeleteसुधा दीदी ने आज के महानगर का शब्द चित्र ही खींच दिया उत्कृष्ट हैं .
ReplyDeleteज्योत्सना जी की रचनाएँ यथार्थ को बयाँ कर रहीहैं.
जागे शहर ।
आठों पहर। ........काश ऐसा होता , सभी सुंदर हाइकु .
पल में बनी
छोटी -सी बालकनी
पुष्प वाटिका। ...... वाकई महानगर की हकीकत दर्शा रहा बहुत खूब सुंदर हाइकु ज्योत्सना प्रदीप जी .
आँखों में ख्वाब
सुनहरे कल के
जागे शहर ।.......बेमिसाल हाइकु ख़्वाबों की तस्वीर को बयाँ करता शहर .
शहर ने दी
सपनों की उड़ान
सूर्य तलक । सही सच भी ,सुंदर उपमा .
सुर्ख़ी में छाए
डॉक्टरों के धरने,
जीवन लीलें। आज की यही हकीकत है सुंदर हाइकु अनीता जी
सभी को बधाई .
शहरी जीवन का बहुत सजीव मार्मिक चित्रण!
ReplyDeleteमन को छूते हुए बहुत सुन्दर हाइकु!
आप सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई!
सभी रचनाकारो को बधाई....महानगर का सुंदर सजीव चित्रण।
ReplyDeletesudha ji himanshu ji subhash ji jyotsna ji priyanka ji anita ji ....mahanagar par likhe utkrisht haiku ke liye bahut -bahut badhai......himanshu ji ..aapne mujhe yahan sthaan deker mera jo utsaahvardhan kiya hai uske liye tahe dil se abhaari hou.
ReplyDeleteसभी हाइकु बहुत ही प्रभावशाली हैं।
ReplyDeleteशहरी जीवन के प्रायः सभी पक्षों को उजागर करते हाइकु ..आदरणीया सुधा दीदी , काम्बोज भाई जी , सुभाष लखेड़ा जी , ज्योत्स्ना प्रदीप जी ,प्रियंका जी एवं अनिता जी की सशक्त कलम को सादर नमन !
ReplyDeleteeak se badhkar eak...
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