डॉ हरदीप सन्धु
1
दीवाली रात
दीप बने बाराती
झूमे आँगन।
2
मिट्टी का दिया
चप्पा -चप्पा बलता
बिखरती लौ।
3
दीवट दिया
भीतर औ बाहर
घर रौशन।
-0-
ज्योत्स्ना प्रदीप
1
रात में भोर
दीपों का जमघट
क्रांति की ओर॥
2
न जात-पात
न देखे दिन- रात
दीप तो जले।
3
सहमा तम
दीपक तले छुपा
कुछ रूआँसा ।
-0-
हरदीप जी, ज्योत्स्ना जी, आप दोनों के उम्दा हाइकु! हिमांशु जी की सुन्दर सोच, बेहतरीन पंक्तियाँ!
ReplyDeleteआप सभी को ढेरों शुभकामनाएँ।
सुन्दर हाइकु और बेहतरीन पंक्तियों से सजे सहज साहित्य के सभी साथियों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteहरदीप जी, ज्योत्स्ना प्रदीप जी... दीपों की माला से जगमगाते सुन्दर हाइकु !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ भैया जी।
हमारे सभी साथियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
~सादर
अनिता ललित
उजाला बिखेरते बहुत सुन्दर हाइकु हार्दिक शुभ कामनाएँ तथा सर्व मंगल की भावना से परिपूर्ण भैया जी की पंक्तियों को सादर नमन !
ReplyDeletehardeep ji, alokit haiku ke liye tatha..himanshu ji, jyotit panktiyo ke liye...ujalo se bhari badhai.saadar naman ke saath.
ReplyDeleteaap sabhi vidushiyo ka dil se aabhaar tatha pyaar bhara namaskaar...
ReplyDeleteकाम्बोज जी का आशीर्वाद सब पर फलीभूत हो. दीपावली पर हरदीप जी की सुन्दर रचनाएं. साधुवाद. सुरेन्द्र वर्मा
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