मेरी नई कविताएँ –डॉ सुधेश
1-साधक
की खोज
ख़ुशामदी अवसरवादी
तोता चश्म यशलोभी
निकले आगे
और आगे और आगे
मैं धिकलता गया पीछे
और पीछे और पीछे
साधक की खोज हुई
आगे बहुत भीड़ थी
पीछे वालों में
सरस्वती की करुण दृष्टि
पड़ गई मुझ पर
बिना याचना के
मैं पाया गया
प्रथम ।
-0-
2-दु:ख
कहाँ है
दु:ख सब को माँझता है
पर जो दु:ख को
काली कमाई से माँज कर
सुख की मरीचिका में बदलते
पूछते हैं-
दु:ख कहाँ है
मन का भ्रम है
भक्ति का पर्याय
परोपकार का बीज है ।
पर उन का क्या होगा
जो दु:ख की पहाड़ियों में दबे
मौत माँगते हैं ?
-0-
बहुत सुंदर
ReplyDeleteमाँ सरस्वती की सदय दृष्टि भरपूर पड़ी है ...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचनाएँ हैं आपकी ...
ReplyDeleteहृदय से बधाई ...सादर नमन वंदन !!
परोपकार का बीज है ।
ReplyDeleteपर उन का क्या होगा
जो दु:ख की पहाड़ियों में दबे
मौत माँगते हैं ?
sunder bhavna purn kavita
rachana
आपकी लिखी रचना शनिवार 08 मार्च 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सुन्दर अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteमाँ सरस्वती की कृपा जिस पर हो जाए, वो भला पीछे कैसे रहेगा...|
ReplyDeleteसुन्दर रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई...|
sunder abhivyakti ke liye bahut bahut badhai
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