नीला नभ .. दूर क्षितिज पर आँचल लहराती चली आ रही मेघा रानी , पेड़ों के पीछे छुपा है नटखट पवन... अरे ये तो मेघा रानी को दौड़ा रहा है ...ये क्या दौड़ते - दौड़ते मेघारानी तो नकचढ़ी बिजली से टकरा गई... उफ़ गगरी फूट गई और झर- झर गिरने लगे सावनी हाइकु
कमला निखुर्पा
1
हवा दौड़ाए
भागी भागी फिरे है
मेघा पगली।
2
गिरी धम से
टकराई बिजली
फूटी गागर।
3
चूनर हरी
भीगी वसुंधरा की
सिहर उठी।
4
मुख निहारे
निर्मल नीली झील
बनी दर्पण।
5
पावस रानी
टिप टिप बजाए
जल तरंग ।
6
झूमे रे तरु
पपीहरा गाए है
नाचे है मोर।
-0-
१९ अगस्त २०१३
कमला निखुर्पा
1
हवा दौड़ाए
भागी भागी फिरे है
मेघा पगली।
2
गिरी धम से
टकराई बिजली
फूटी गागर।
3
चूनर हरी
भीगी वसुंधरा की
सिहर उठी।
4
मुख निहारे
निर्मल नीली झील
बनी दर्पण।
5
पावस रानी
टिप टिप बजाए
जल तरंग ।
6
झूमे रे तरु
पपीहरा गाए है
नाचे है मोर।
-0-
१९ अगस्त २०१३
बहुत सुन्दर मधुर प्रस्तुति ..बधाई आपको !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग समूह
sabhi haiku badal bijali aur pani seaplavit hain .apko sadar naman.
ReplyDeletepushpa mehra.
तन-मन को भिगोते सुन्दर हाइकु.....बधाई!
ReplyDeleteबेहद उम्दा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...बधाई...|
ReplyDeleteप्रियंका
सुन्दर हाइकू..
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