डॉ•ज्योत्स्ना शर्मा
सुन सखी ! कहाँ विश्राम लिखा !
मैंने तो आठों याम लिखा
।
पथ पर कंटक, चलना होगा,
अँधियारों में जलना होगा ।
मन- मरुभूमि सरसाने को
हिमखंडों- सा, गलना होगा ।
शुभ, नव संवत्सर हो सदैव ,
संकल्प यही सत्काम लिखा।।
केवल जीने की चाह नहीं ,
भरनी मुझको अब आह नहीं ।
फूल और कलियाँ मुस्काएँ
गूँजे न कोई कराह कहीं ।
नव आगत तेरे स्वागत में
पल का प्यारा पैगाम लिखा ।।
समय मिलेगा फिर बाँचेगा
मेरी भी कापी जाँचेगा।
रहे हैं कितने प्रश्न अधूरे ;
कितने उत्तर सही हैं पूरे ।
जीवन के खाली पन्नों पर -
साँसों का बस संग्राम लिखा ।।
मैंने तो आठों याम लिखा
,
सुन सख! कहाँ विश्राम लिखा !
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बहुत सुंदर कविता। जीवन को नई ऊर्जा से भर देने वाला...
ReplyDeleteकेवल जीने की चाह नहीं ,
भरनी मुझको अब आह नहीं ।
फूल और कलियाँ मुस्काएँ
गूँजे न कोई कराह कहीं ।
नव आगत तेरे स्वागत में
पल का प्यारा पैगाम लिखा ।।
ज्योत्स्ना जी को बधाई।
शुभारंभ---धन्यवाद
Deleteप्रेरणाप्रद सुन्दर कविता बधाई ज्योत्स्ना जी।
ReplyDeleteबस यही जीवन है .....
ReplyDeleteनव-संवत्सर की शुभ कामनाएं ....
धन्यवाद...
समय मिलेगा फिर बाँचेगा
ReplyDeleteमेरी भी कापी जाँचेगा।
रहे हैं कितने प्रश्न अधूरे ;
कितने उत्तर सही हैं पूरे ।
जीवन के खाली पन्नों पर -
साँसों का बस संग्राम लिखा ।।
bas ek hi shabd Adbhut !!! itni sundar rachna ki prashansa ke liye mere pas upyukt shabd nahi hain...
सबकी कापियाँ जाँचेगा समय -परीक्षा दे रहे हैं हम लोग तो साल-दर-साल!
ReplyDeletesundar kavita ,badhai .
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुंदर कविता !
ReplyDeleteजीवन के खाली पन्नों पर -
साँसों का बस संग्राम लिखा~प्रशंसा के लिए शब्द नहीं...
~सादर!!!
achchi kavita
ReplyDeleteचल चल पथिक, जल जल पथिक..
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ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर...मन में जैसे एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है इन पंक्तियों से...| इस प्यारी सी रचना के लिए आभार और बधाई...|
ReplyDeleteप्रियंका