डॉ• ज्योत्स्ना शर्मा
ओ नन्हीं प्यारी
गौरैया
फुदक -फुदककर ता-ता -थैया
कितनी सुबह
-सुबह
जग जाती
तुम मीठे सुर
साज़ सजाती
बजे अलार्म भले
न मेरा
मुझे समय
से आन जगाती
तुम ना हो तो फिर पक्का है
कान खिंचें और
मारे मैया
छुट्टी के
दिन सोने देना
सुख सपनों में
खोने देना
देखो बात
न बढ़ने पाए
बहुत देर
मत होने देना
दाना- पानी दूँगी
तुमको
मान करूँगी सोन
चिरैया
ओ मेरी प्यारी
गौरैया
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Bal diwas par Bahut Sunder kavita ...sunder prastuty ...Badhaaee!
ReplyDeleteDr Saraswati Mathur
Bahut pyari kavita....
ReplyDeleteवैसे अब गौरैया कम दिखाई पड़ती हैं, पर यह सुन्दर रचना कितना कुछ याद दिला गई...। बधाई...।
ReplyDeleteप्रियंका
ज्योत्स्ना जी बहुत प्यारा बाल-गीत।
ReplyDeleteज्योत्स्ना जी बहुत प्यारा बाल-गीत।
ReplyDeletearewah kya hi sunder bal geet hai bachchon ko to bahut hi pyara lagega jab mujhe itna achchha lag raha hai
ReplyDeleterachana
प्यारी सी गौरया का प्यारा सा गीत..
ReplyDeleteबहुत प्यारी मीठी-मीठी रचना, बधाई ज्योत्सना जी.
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना बाल दिवस पर ... ओ मेरी सों चिरैया ..
ReplyDeleteप्रस्तुति पर सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार आप सभी का ..Dr Saraswati Mathur जी ,manukavya ji ,Krishna ji ,Rachana ji ,प्रियंका जी ,प्रवीण पाण्डेय जी ,डॉ. जेन्नी शबनम जी एवं डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति जी ...सादर ज्योत्स्ना
ReplyDeletesundar prastuti..
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