पथ के साथी

Friday, July 20, 2012

तेरा दु:ख




रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
तेरा दु:ख मुझे  तो अपने -सा लगे
तेरा मिलना किसी सपने-सा लगे ।
2
               जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।                                   कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥

23 comments:

  1. Dr. Rama Dwivedi

    बहुत सहज ,सरल और सटीक हैं ....बहुत -बहुत बधाई ...

    ReplyDelete
  2. ज्योत्स्ना शर्मा20 July, 2012 18:50

    तेरा दु:ख मुझे तो अपने -सा लगे ।
    तेरा मिलना किसी सपने-सा लगे ।

    जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं
    कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥....जीवन का यथार्थ कहते ..सुंदर कोमल भावों को बहुत सुंदरता से अभिव्यक्त किया है आपने ...सादर ज्योत्स्ना

    ReplyDelete
  3. शब्दश; सही ...!!
    कम शब्दों मे प्रभावशाली ... ...

    ReplyDelete
  4. सरल सहज सुंदर अभिव्यक्ति...यथार्थ का परिचय करवा गई|
    सादर

    ReplyDelete
  5. सुन्दर सुगम अचूक...बधाई
    कृष्णा वर्मा

    ReplyDelete
  6. सीधे मन में उतरती बातें .सरल शब्दों में गहन भाव
    saader
    rachana

    ReplyDelete
  7. जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
    कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
    सीधे मन में उतरती पंक्तियाँ ... सादर

    ReplyDelete
  8. बहुत प्यारी पंक्तियाँ....
    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  9. जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
    कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं

    बहुत सुंदर बात कही आपने .. सपने देखने का हक़ तो सभी को है... पूरा होना न होना बेशक अपने हाथ में नहीं ... पर सपने तो देखने ही चाहिये... सपने होंगे तभी तो पूरे होंगे...
    सादर
    मंजु

    ReplyDelete
  10. बहुत सुंदर बात कही आपने... सपने देखने का हक़ सबको है... बेशक सपनों का पूरा होना न होना अपने हाथ में नहीं... पर , सपने जरूर देखने चाहिये... सपने होंगे तभी तो पूरे होंगे...
    सादर
    मंजु

    ReplyDelete
  11. जब हम अपने आपको उस रब के हवाले कर देतें हैं तो दुःख चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो अपने -आप ही कम होने लगता है |
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ........
    जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
    कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
    मेरे सपने
    अब रब हवाले
    वही संभाले
    हरदीप

    ReplyDelete
  12. चन्द शब्दों में कितनी सरलता और खूबसूरती से आपने जीवन का यथार्थ बयान कर दिया है कि बात सीधे मन मे उतर जाती है...मेरी बधाई...।
    प्रियंका

    ReplyDelete
  13. सहज कह डालते हैं आप हर एहसास तभी सहज साहित्‍य इतना गरिमामयी है।

    ReplyDelete
  14. कितनी सहजता से कह डालते है आप हर एहसास, तभी सहज साहित्‍य इतना गरिमामयी है।

    ReplyDelete
  15. सरल शब्दों में सार्थक और रब पर आस्था रखने की प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना .

    ReplyDelete
  16. अति सुंदर सोच है .कविता व्यापकता की अनुभूति से ओत- प्रोत है .

    ReplyDelete
  17. bahut khoob, aapne har ehsaas ko bahut khubsoorti se in panktiyoe mei utaar diya.

    ReplyDelete
  18. अति सुंदर भाव और सहज, सुमधुर शब्दावली! पढ़कर मन प्रफ़्फ़ुलित हो गया ! सच है रब की मर्ज़ी के बिना तो तिनका भी नहीं हिलता। रब आपकी लेखनी से साहित्य की गंगा यूँ ही प्रवाहित करवाता रहे और हम आपसे प्रेरणा पा कुछ सार्थक लिखने में सफ़ल हों। आमीन !

    ReplyDelete
  19. जीवन का सच है, कितने सपने हम पालते हैं और जो टूट जाते हैं उनके लिए दिल बहुत दुखता है, ऐसे में सब कुछ रब की मर्जी मान लेने से मन को सुकून मिलता है. बहुत गहन भाव...

    जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
    कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥

    शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  20. Bahut dardyukt rachna hai ...sapne to hote hi tutne ke liye hain....virle honge jinke sapne pure hote honge...

    ReplyDelete
  21. जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
    कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
    अक्षरश: सही कहा है आपने ... आभार

    ReplyDelete