तेरा दु:ख मुझे तो अपने -सा लगे । तेरा मिलना किसी सपने-सा लगे ।
जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥....जीवन का यथार्थ कहते ..सुंदर कोमल भावों को बहुत सुंदरता से अभिव्यक्त किया है आपने ...सादर ज्योत्स्ना
जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं । कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं
बहुत सुंदर बात कही आपने .. सपने देखने का हक़ तो सभी को है... पूरा होना न होना बेशक अपने हाथ में नहीं ... पर सपने तो देखने ही चाहिये... सपने होंगे तभी तो पूरे होंगे... सादर मंजु
बहुत सुंदर बात कही आपने... सपने देखने का हक़ सबको है... बेशक सपनों का पूरा होना न होना अपने हाथ में नहीं... पर , सपने जरूर देखने चाहिये... सपने होंगे तभी तो पूरे होंगे... सादर मंजु
जब हम अपने आपको उस रब के हवाले कर देतें हैं तो दुःख चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो अपने -आप ही कम होने लगता है | बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ........ जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं । कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥ मेरे सपने अब रब हवाले वही संभाले हरदीप
अति सुंदर भाव और सहज, सुमधुर शब्दावली! पढ़कर मन प्रफ़्फ़ुलित हो गया ! सच है रब की मर्ज़ी के बिना तो तिनका भी नहीं हिलता। रब आपकी लेखनी से साहित्य की गंगा यूँ ही प्रवाहित करवाता रहे और हम आपसे प्रेरणा पा कुछ सार्थक लिखने में सफ़ल हों। आमीन !
जीवन का सच है, कितने सपने हम पालते हैं और जो टूट जाते हैं उनके लिए दिल बहुत दुखता है, ऐसे में सब कुछ रब की मर्जी मान लेने से मन को सुकून मिलता है. बहुत गहन भाव...
जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं । कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
Dr. Rama Dwivedi
ReplyDeleteबहुत सहज ,सरल और सटीक हैं ....बहुत -बहुत बधाई ...
तेरा दु:ख मुझे तो अपने -सा लगे ।
ReplyDeleteतेरा मिलना किसी सपने-सा लगे ।
जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं
कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥....जीवन का यथार्थ कहते ..सुंदर कोमल भावों को बहुत सुंदरता से अभिव्यक्त किया है आपने ...सादर ज्योत्स्ना
शब्दश; सही ...!!
ReplyDeleteकम शब्दों मे प्रभावशाली ... ...
सरल सहज सुंदर अभिव्यक्ति...यथार्थ का परिचय करवा गई|
ReplyDeleteसादर
सुन्दर सुगम अचूक...बधाई
ReplyDeleteकृष्णा वर्मा
सीधे मन में उतरती बातें .सरल शब्दों में गहन भाव
ReplyDeletesaader
rachana
जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
ReplyDeleteकितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
सीधे मन में उतरती पंक्तियाँ ... सादर
in chaar panktiyon ne bahut kuch keh daalaa....Umda
ReplyDeleteबहुत प्यारी पंक्तियाँ....
ReplyDeleteसादर
अनु
जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
ReplyDeleteकितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं
बहुत सुंदर बात कही आपने .. सपने देखने का हक़ तो सभी को है... पूरा होना न होना बेशक अपने हाथ में नहीं ... पर सपने तो देखने ही चाहिये... सपने होंगे तभी तो पूरे होंगे...
सादर
मंजु
बहुत सुंदर बात कही आपने... सपने देखने का हक़ सबको है... बेशक सपनों का पूरा होना न होना अपने हाथ में नहीं... पर , सपने जरूर देखने चाहिये... सपने होंगे तभी तो पूरे होंगे...
ReplyDeleteसादर
मंजु
जब हम अपने आपको उस रब के हवाले कर देतें हैं तो दुःख चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो अपने -आप ही कम होने लगता है |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ ........
जीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
मेरे सपने
अब रब हवाले
वही संभाले
हरदीप
wahhhhh
ReplyDeleteचन्द शब्दों में कितनी सरलता और खूबसूरती से आपने जीवन का यथार्थ बयान कर दिया है कि बात सीधे मन मे उतर जाती है...मेरी बधाई...।
ReplyDeleteप्रियंका
सहज कह डालते हैं आप हर एहसास तभी सहज साहित्य इतना गरिमामयी है।
ReplyDeleteकितनी सहजता से कह डालते है आप हर एहसास, तभी सहज साहित्य इतना गरिमामयी है।
ReplyDeleteसरल शब्दों में सार्थक और रब पर आस्था रखने की प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना .
ReplyDeleteअति सुंदर सोच है .कविता व्यापकता की अनुभूति से ओत- प्रोत है .
ReplyDeletebahut khoob, aapne har ehsaas ko bahut khubsoorti se in panktiyoe mei utaar diya.
ReplyDeleteअति सुंदर भाव और सहज, सुमधुर शब्दावली! पढ़कर मन प्रफ़्फ़ुलित हो गया ! सच है रब की मर्ज़ी के बिना तो तिनका भी नहीं हिलता। रब आपकी लेखनी से साहित्य की गंगा यूँ ही प्रवाहित करवाता रहे और हम आपसे प्रेरणा पा कुछ सार्थक लिखने में सफ़ल हों। आमीन !
ReplyDeleteजीवन का सच है, कितने सपने हम पालते हैं और जो टूट जाते हैं उनके लिए दिल बहुत दुखता है, ऐसे में सब कुछ रब की मर्जी मान लेने से मन को सुकून मिलता है. बहुत गहन भाव...
ReplyDeleteजीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
कितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
शुभकामनाएँ.
Bahut dardyukt rachna hai ...sapne to hote hi tutne ke liye hain....virle honge jinke sapne pure hote honge...
ReplyDeleteजीवन में सबने ही ,कुछ सपने पाले हैं ।
ReplyDeleteकितने टूटे या बचे , रब के हवाले हैं ॥
अक्षरश: सही कहा है आपने ... आभार