रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
बहुत असर अपनों की दुआओं में होता ।
ज्यों खुशबू का झोंका हवाओं में होता । ।
2
पहाड़ों से टकराकर सदा जो पार
जाता है ।
अपनों से वह मुसाफ़िर सब जंग
हार जाता है । ।
3
मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
जबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले । ।
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मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
ReplyDeleteजबसे बेगानों मे आया ,अपने बहुत मिले । ।
कमाल की बात कही आपने। रिश्ते खून से नही स्नेह से ही बनते हैं अपनो की हमेशा आपेक्षायें रहती हैं जब आपेक्षायें हों तो अपने अपने नही रहते। शुभकामनायें।
बहुत यथार्थ अभिव्यक्ति है...
ReplyDeleteपहाड़ों से टकराकर सदा जो पार जाता है।
अपनों से वह मुसाफ़िर सब जंग हार जाता है।।
बहुत सटीक...सच कहती रचना !!
मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
ReplyDeleteजबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले ।
कितनी सच्ची बात कही है आपने...। ऐसा शायद सभी के साथ होता है...मेरे साथ तो कई बार हुआ जब अपनो के बजाए बेगाने ही मेरे ज्यादा अपने साबित हुए...।
बहुत असर अपनों की दुआओं में होता ।
ReplyDeleteज्यों खुशबू का झोंका हवाओं में होता । ।....वाह बहुत सुंदर
बहुत लाज़वाब...आपने जिन्दगी के सच को
ReplyDeleteखूबसूरती से बयां किया है। बधाई।
-रेनु चन्द्रा
"मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
ReplyDeleteजबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले । ।"
जिंदगी में अक्सर ऐसा होता है। अचानक स्नेह का स्त्रोत फूट पड़ता है और कल के बेगाने अपनों से कम नहीं लगते।
लाजवाब अभिव्यक्ति!
पहाड़ों से टकराकर सदा जो पार जाता है ।
ReplyDeleteअपनों से वह मुसाफ़िर सब जंग हार जाता है । ।
क्या खूब लिखा है आपने.........हर पंक्ति जीवन की सच्चाई बताती है
इतनी सुंदर रचना हमें पढने को मिली इसके लिए हार्दिक धन्यवाद
सादर,
अमिता कौंडल
बहुत असर अपनों की दुआओं में होता ।
ReplyDeleteज्यों खुशबू का झोंका हवाओं में होता । ।
बहुत खूबसूरत।
कृष्णा वर्मा
Dr. Rama Dwivedi
ReplyDeleteबहुत असर अपनों की दुआओं में होता ।
ज्यों खुशबू का झोंका हवाओं में होता । ।
बहुत सुंदर... बधाई।
मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
ReplyDeleteजबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले । ।
bahut uchin baat yahi sachchai hai .bhaiya aapne ganth likha hai
saader
rachana
मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
ReplyDeleteजबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले । ।
Kamboj ji aapne ythaarth ko laakar itni khubsurti se saamne rakh diya hai ki shabd chhote pad gaye.in kahne ko to 2 paknktiyon men pura sansaar sama gaya hai.bahut bhagyashaali hote hain vo log jinko kahin to khuch milta hai varna kuch aise abhaage bhi hote hain jinko jinko jindgi ka safar akele hi kaatna padta hai...jyada likh gayi lagta hai... :)
बड़ा ही गहरा सत्य उजागर कर दिया बहुत कम पंक्तियों में..
ReplyDeleteप्रेरणादायक रचना .
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
क्या परिभाषा दें हम अपने और बेगानों की ?
ReplyDeleteइस कठिन काम को आपने कितनी सरलता से सुलझा दिया है इन पंक्तियों में
मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
जबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले । ।
सुन्दर मनमोहक रचना के लिए बधाई !
हरदीप
बहुत असर अपनों की दुआओं में होता ।
ReplyDeleteज्यों खुशबू का झोंका हवाओं में होता । ।
अपनों की दुआओं में असर बहुत होता है ये तो एकदम सच है, लेकिन कौन से अपने सच में अपने हैं ये तय कर पाना बहुत मुश्किल हो गया है आजकल.
पहाड़ों से टकराकर सदा जो पार जाता है ।
अपनों से वह मुसाफ़िर सब जंग हार जाता है । ।
दुनिया में बाकी सब के साथ जंग दिल से नहीं दिमाग से लड़ी जाती है, इस लिए जीतना संभव होता है. ... लेकिन हारता सदा इन्ससान अपनों से ही है क्योंकि वहाँ दिल की चलती है.. दिमाग दोयम हो जाता है.... और यहीं धोखा खा जाता हैं इंसान ..
मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
जबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले
ये तो अपने एकदम सच कहा..."गैरों में अपने मिल जाते हैं, जंगल में फूलों की तरह... अपनों के बीच सदा अपने मिलते फूलों में शूलों की तरह...
सादर
मंजु
बहुत असर अपनों की दुआओं में होता ।
ReplyDeleteज्यों खुशबू का झोंका हवाओं में होता । ।
...
पहाड़ों से टकराकर सदा जो पार जाता है ।
अपनों से वह मुसाफ़िर सब जंग हार जाता है । ।
.....
मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
जबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले । ।.....जीवन के सत्य को प्रकट करती आपकी पंक्तियाँ बहुत प्रभावी हैं...
बहुत असर अपनों की दुआओं में होता ।
ReplyDeleteज्यों खुशबू का झोंका हवाओं में होता । ।
हाइकू तांका ...सभी बहुत प्रभावी
मुझको अपनों के बीच मिली बेगानी दुनिया ।
ReplyDeleteजबसे बेगानों में आया ,अपने बहुत मिले । ।
जीवन का सच है ये. और शायद ऐसे ही दुनिया होती है. तभी तो हम बेगानों में अपनापन ढूंढ लेते, बिना अपनों के जीवन नहीं. संदेशप्रद दोहे, बधाई.