पथ के साथी

Wednesday, April 11, 2012

उपचार


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
      नेताजी कई दिन से बीमार थे । अस्पताल के कई बड़े डॉक्टर परिचर्या में लगे  हुए थे । दवाइयाँ भी बदल-बदलकर  दी जा रही थीं। नेताजी की मूर्च्छा फिर भी न टूट पाई  । चिन्ता बढ़ती जा रही थी । गण व्याकुल हो उठे । प्रमुख गण को एक उपाय सूझा । वह दौड़ा-दौड़ा एक दूकान पर गया । वहाँ पार्टी के प्रान्तीय अध्यक्ष की कुर्सी  मरम्मत के लिए आई थी । वह घण्टे भर के लिए कुर्सी माँग लाया । चार लोगों ने भारी-भरकम नेता जी को कुर्सी पर बिठा दिया । उनकी चेतना लौट आई ।
डॉक्टरों ने राहत की साँस ली ।
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9 comments:

  1. सही उपचार .... नेता जी को बस कुर्सी पर बैठा दो सारी मूर्छा टूट जाएगी :):)

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  2. ajkal sab kursi ki hi to mahima hai... dhardar vyangya..

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  3. आज के नेताओं पर एक अच्छा व्यंग्य !

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  4. नेता जी के लिए इस से अच्‍छा इलाज और क्‍या होगा । वाह क्‍या खूब कहा है।

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  5. bahut karara vyang hai aaj ka smy hi kuchh aesa hai
    rachana

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  6. आज की राजनीती और राजनेताओं पर सटीक व्यंग्य ....

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  7. बहुत सटीक व्यंग, कुर्सी की खातिर और कुर्सी के लिए क्या क्या नहीं हो जाता, बहुत सटीक कटाक्ष, बधाई.

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  8. Bahut sateek vaygy kiya hai aapne ...

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  9. अच्छा व्यंग्य भैया जी

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