रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
आँसू तुम्हारे
भिगो गए आँगन
मेरे मन का ।
2
देखे न जाएँ
अपनों के ये आँसू
खूब रुलाएँ
3
पोंछ दूँ नैन
मिल जाए मन को
दो पल चैन
4
तुमने जोड़ा
ऐसा प्यारा ये नाता
जीना सिखाता
5
तुम न आतीं
मन के मन्दिर में
जले न बाती
6
मेरी हथेली
तेरे भीगे नयन
लाओ पोंछ दूँ
-0-
बहुत कोमल भाव लिए सुन्दर हाईकू रचनाएँ ..
ReplyDeleteमोती सा आंसू
पलकों पे अटका
सहेज लूँ मैं ..
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति । एक-एक शब्द समवेत स्वर में बोल रहे हैं । मेरे पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteसुंदर एवं भावपूर्ण हाइकुओं के लिए बधाई एवं आभार!
ReplyDeleteइन कठिन भावों को तीन तीन पंक्तियों में सम्हाल पाना बड़ा ही कठिन है..
ReplyDeleteतुमने जोड़ा
ReplyDeleteऐसा प्यारा ये नाता
जीना सिखाता...
Sabhi haiku bahut pyari bhavnaon se ot prot hain.Sabhi ke bhav bahut komla hain.ye haiku bahut apnatv se bhara hai.bahut2 badhai.
सभी हायेकु रचनाएँ बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteमेरी हथेली
ReplyDeleteतेरे भीगे नयन
लाओ पोंछ दूँ...bahut sundar...
पोंछ दूँ नैन
ReplyDeleteमिल जाए मन को
दो पल चैन
भाव, तुक, लय सब समाए हैं इन नन्हीं पंक्तियों में ... यही तो है गागर में सागर |
sabhi haaiku behad bhaavpurn..
ReplyDeleteदेखे न जाएँ
अपनों के ये आँसू
खूब रुलाएँ
shubhkaamnaayen.
आँसुओं पर बहुत ही सुन्दर हाइकु…पहले हाइकु ने तो दिल जीत लिया…
ReplyDeleteआँसू तुम्हारे
ReplyDeleteभिगो गए आँगन
मेरे मन का
वैसे तो सभी हाइकू सुंदर हैं... लेकिन इसका काव्य एवं भाव सौन्दर्य तो बस अनुपम है
सादर
मंजु