डॉ हरदीप कौर सन्धु
कोई गम नहीं
रेतीले ही सही
वो रिश्ते तो हैं ....
हम अकेले नहीं
नाम के ही सही
वो रिश्ते तो हैं .....
उम्र भर प्यार
दिया है जिनको
वो रिश्ते तो हैं .....
प्यार के आँचल में
भीग जाएँगे जब
ये रेतीले रिश्ते .....
प्यार ही प्यार
बरसाएँगे ये
रेतीले रिश्ते !
-0-
वाह बहु्त सुन्दर भाव्।
ReplyDeleteउम्र भर प्यार
ReplyDeleteदिया है जिनको
वो रिश्ते तो हैं .....
प्यार के आँचल में
भीग जाएँगे जब
ये रेतीले रिश्ते .....
प्यार ही प्यार
बरसाएँगे ये
रेतीले रिश्ते !bahut sunder saarthak rachanaa.badhaai.
please visit my blog.thanks.
prabhavi abhiykti...
ReplyDeleteउम्र भर प्यार
ReplyDeleteदिया है जिनको
वो रिश्ते तो हैं .....
प्यार के आँचल में
भीग जाएँगे जब
ये रेतीले रिश्ते .....
kya baat hai in panktiyon ne bahut prabhavit kiya .
रेतीले रिश्ते ye prayog bahut achchha laga .
socha to laga shayad rishte hote hi aese hain
bahut sunder
rachana
"रेतीले रिश्ते" बहुत ही प्यारी रचना..
ReplyDeleteहम अकेले नहीं
नाम के ही सही
वो रिश्ते तो हैं .....
रिश्तों का होना ही अपने आप में बड़ी बात है, रिश्ते होंगे तभी तो उन्हें सँभालने और सँवारने की गुंजाइश होगी.
प्यार के आँचल में
ReplyDeleteभीग जाएँगे जब
ये रेतीले रिश्ते .....
प्यार ही प्यार
बरसाएँगे ये
रेतीले रिश्ते !
सही बात है तभी तो कहते हैं कि अगर अपना मारेगा तो छांम्व मे तो फेंकेगा। अच्छी रचना के लिये हरदीप जी को बधाई।
उम्र भर प्यार
ReplyDeleteदिया है जिनको
वो रिश्ते तो हैं .....
प्यार के आँचल में
भीग जाएँगे जब
ये रेतीले रिश्ते .....
प्यार ही प्यार
बरसाएँगे ये
रेतीले रिश्ते !
bahut sunder avhivyakti hai.
saadar,
amita kaundal
रिश्तो की गहराई को बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया| बधाई|
ReplyDeleterishto ke baare men bahut achi rachna...retile rishton men bhi apnapan paida kiya ja sakta hai...
ReplyDeleteहिमांशु जी ने मेरी कविता को सहज साहित्य का श्रृंगार बनाया जिसके लिए मैं उनकी हृदय से आभारी हूँ |
ReplyDeleteआप सबकी शुभकामनाओं के लिए आभार !
बहुत ख़ूबसूरत, शानदार और भावपूर्ण रचना ! बेहतरीन प्रस्तुती!
ReplyDeleteरेत के समन्दर से होते हैं ये रेतीले रिश्ते....कभी नम तो कभी बिखरते हुए से रिश्ते’ पर फिर भी रिश्ते कहलाते हैं ...कैसी विडम्बना है जीवन की?रिश्तों को परिभाषित करती सुन्दर ,सार्थक रचना के लिए बधाई..... डॉ रमा द्विवेदी
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