पथ के साथी

Saturday, June 11, 2011

रेतीले रिश्ते !


डॉ हरदीप कौर सन्धु
कोई गम नहीं
रेतीले ही सही
वो रिश्ते तो हैं ....
हम अकेले नहीं
नाम के ही सही
वो रिश्ते तो हैं .....
उम्र भर प्यार
दिया है जिनको
वो रिश्ते तो हैं .....
प्यार
के आँचल में
भीग जाएँगे जब
ये रेतीले रिश्ते .....
प्यार ही प्यार
बरसाएँगे ये
रेतीले रिश्ते !
-0-

12 comments:

  1. वाह बहु्त सुन्दर भाव्।

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  2. उम्र भर प्यार
    दिया है जिनको
    वो रिश्ते तो हैं .....
    प्यार के आँचल में
    भीग जाएँगे जब
    ये रेतीले रिश्ते .....
    प्यार ही प्यार
    बरसाएँगे ये
    रेतीले रिश्ते !bahut sunder saarthak rachanaa.badhaai.



    please visit my blog.thanks.

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  3. उम्र भर प्यार
    दिया है जिनको
    वो रिश्ते तो हैं .....
    प्यार के आँचल में
    भीग जाएँगे जब
    ये रेतीले रिश्ते .....
    kya baat hai in panktiyon ne bahut prabhavit kiya .
    रेतीले रिश्ते ye prayog bahut achchha laga .
    socha to laga shayad rishte hote hi aese hain
    bahut sunder
    rachana

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  4. "रेतीले रिश्ते" बहुत ही प्यारी रचना..

    हम अकेले नहीं
    नाम के ही सही
    वो रिश्ते तो हैं .....

    रिश्तों का होना ही अपने आप में बड़ी बात है, रिश्ते होंगे तभी तो उन्हें सँभालने और सँवारने की गुंजाइश होगी.

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  5. प्यार के आँचल में
    भीग जाएँगे जब
    ये रेतीले रिश्ते .....
    प्यार ही प्यार
    बरसाएँगे ये
    रेतीले रिश्ते !
    सही बात है तभी तो कहते हैं कि अगर अपना मारेगा तो छांम्व मे तो फेंकेगा। अच्छी रचना के लिये हरदीप जी को बधाई।

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  6. amita kaundal13 June, 2011 08:24

    उम्र भर प्यार
    दिया है जिनको
    वो रिश्ते तो हैं .....
    प्यार के आँचल में
    भीग जाएँगे जब
    ये रेतीले रिश्ते .....
    प्यार ही प्यार
    बरसाएँगे ये
    रेतीले रिश्ते !
    bahut sunder avhivyakti hai.
    saadar,
    amita kaundal

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  7. रिश्तो की गहराई को बहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया| बधाई|

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  8. rishto ke baare men bahut achi rachna...retile rishton men bhi apnapan paida kiya ja sakta hai...

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  9. हिमांशु जी ने मेरी कविता को सहज साहित्य का श्रृंगार बनाया जिसके लिए मैं उनकी हृदय से आभारी हूँ |
    आप सबकी शुभकामनाओं के लिए आभार !

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  10. बहुत ख़ूबसूरत, शानदार और भावपूर्ण रचना ! बेहतरीन प्रस्तुती!

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  11. रेत के समन्दर से होते हैं ये रेतीले रिश्ते....कभी नम तो कभी बिखरते हुए से रिश्ते’ पर फिर भी रिश्ते कहलाते हैं ...कैसी विडम्बना है जीवन की?रिश्तों को परिभाषित करती सुन्दर ,सार्थक रचना के लिए बधाई..... डॉ रमा द्विवेदी

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