पथ के साथी

Thursday, June 9, 2011

चार कविताएँ : स्वाति


नवागत-परिचय

नाम - स्वाति वल्लभा राज,
जन्म-तिथि- 22-4-1987
पिता- श्री विनोद कुमार तिवारी (वाणिज्य लिपिक- रेलवे)
माता- श्रीमती अनीता तिवारी (शिक्षिका)
मूल रूप से मै सिवान(बिहार) की निवासी हूँ | स्नातक इलाहाबाद  से की है |
साहित्य से लगाव बचपन से ही है पर अब भावनाओ और अनुभवों को शब्दों का लिबास देना चाहती हूँ |

1-फुर्सत के पल

फुर्सत के पल
आज काटते है बेहिसाब
कभी इन्ही के आगोश में 
ज़िदगी आबाद थी |
2-सीलन 
गुजरे वक़्त की सीलन ,
अब भी मौजूद है दीवारों  में .
रंगों की कई परत भी
निशान न मिटा सकी |
3-राजनीति
अहिंसा,सत्याग्रह के दत्तक ही
भूल चले उस राह को.
नत-मस्तक हूँ मै
हे राजनीति !
तेरे काया-कल्प पर !
स्वर्णिम इतिहास रचने वाले
पोत रहे अब स्याही,
नत-मस्तक हूँ  मै हे! राजनीति
तेरे नव रूप पर ! 
4-नाकाम कोशिश
कर गबेपर्दा 
अनकहे ज़ख्मो को ये आँसू,
कोशिश तो की थी हमने
ता-उम्र मुस्कुराने की |
-0-
स्वाति

19 comments:

  1. सहज साहित्य के इस उत्तम मंच पे आने की बहुत बधाई |
    काफी गहरे भाव छुपे है इन पंक्तियों में |

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छी कविताएं हैं। बधाई !

    ReplyDelete
  3. गुजरे वक़्त की सीलन ,
    अब भी मौजूद है दीवारों में .
    रंगों की कई परत भी
    निशान न मिटा सकी |

    Bahut prbhavit kiya in pakntiyon ne ...bahut-2 badhaii...itni gahrai si likhi rachnaon ke liye..

    ReplyDelete
  4. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (11.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

    ReplyDelete
  5. it's a type of nice attempt...

    ReplyDelete
  6. दीवारों की सीलन की तुलना यादों से करने की बात बहुत खूब रही, लेकिन इससे कहीं ज्यादा अच्छी बात जिंदगी के तमाम राग रंग इस सीलन पर चढ़ते रहे, मगर जेहन में जिंदा रही वो खुशनुमा खुश्बूदार खूबसूरत सी यादें। बहुत खूब- सखाजी

    ReplyDelete
  7. विचारशीलता की प्रभावी प्रस्तुति प्रशंसनीय है , काव्य, विचारों को मूर्त रूप देता हुआ सुंदर है ...साधुवाद जी /

    ReplyDelete
  8. gahre bhavon se saji sunder kavitayen.
    कभी इन्ही के आगोश में
    ज़िदगी आबाद थी |
    bahut khub
    badhai
    rachana

    ReplyDelete
  9. "फुर्सत के पल
    आज काटते है बेहिसाब
    कभी इन्ही के आगोश में
    ज़िदगी आबाद थी |"

    "कर गए बेपर्दा
    अनकहे ज़ख्मो को ये आँसू,
    कोशिश तो की थी हमने
    ता-उम्र मुस्कुराने की |"

    बहुत ही संवेदनशील रचना

    ReplyDelete
  10. सभी पसंद आये , खासकर फुर्सत और राजनीति

    ReplyDelete
  11. bahut sunder bhav .gharai liye hue sunder kavitayen.shabdon ka anootha chayan.badhaai sweekaren.



    please visit my blog.thanks

    ReplyDelete
  12. काफ़ी अच्छा लिखा है

    http://navkislaya.blogspot.com/

    ReplyDelete
  13. great lines....

    ReplyDelete
  14. Fine poems and good start too.You have the potential ,thoughts and spirit to write good poems.My best wishes.
    dr.bhoopendra
    mp

    ReplyDelete
  15. प्रिय स्वाति, सबसे पहले अपनी अभिरुचि को अपनी आवाज़ बनाने के लिए मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं!
    शब्दों का प्रयोग बड़ी ही सरसता से किया गया है....
    'गुज़रे वक़्त की सीलन' जहाँ दिल को छू जाती है...वहीँ 'राजनीति' वर्तमान समय में देश की जीर्ण व्यथा को उजागर करती है.....
    कुल-मिलाकर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की सभी रचनाएँ बड़ी ही कुशलतापूर्वक लिखी गयी हैं........

    ReplyDelete
  16. प्रिय स्वाति, सबसे पहले अपनी अभिरुचि को अपनी आवाज़ बनाने के लिए मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं!
    शब्दों का प्रयोग बड़ी ही सरसता से किया गया है....
    'गुज़रे वक़्त की सीलन' जहाँ दिल को छू जाती है...वहीँ 'राजनीति' वर्तमान समय में देश की जीर्ण व्यथा को उजागर करती है.....
    कुल-मिलाकर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की सभी रचनाएँ बड़ी ही कुशलतापूर्वक लिखी गयी हैं........

    ReplyDelete
  17. सच्चे और अच्छे शिक्षक का काम है , हर अच्छा करने वाले को प्रोत्साहन देना । आप सबने इस छात्रा को जो प्रोत्साहन दिया है , उसके लिए मैं आप सभी का अत्यन्त आभारी हूँ , न जाने किस भेष में भविष्य का कोई साहित्यकार मिल जाए! आज मेरे 22 साल पहले के एक विद्यार्थी जॉन प्रकाश ने मुझको फोन करके चौंका दिया कि वह मुझे आज भी याद करता है और1989 बैच के अन्य विद्यार्थी भी मेरी तलाश करने में लगेथे। आप मेरे आनन्द को महसूस कर सकते हैं। आप सबका पुन: आभार रामेश्वर काम्बोज' हिमांशु'

    ReplyDelete
  18. आप सब के प्यार के लिए धन्यवाद|विशेष कर श्री हिमांशु सर के लिए आभार|आप सब का मार्ग-दर्शन मिलता रहे|
    swati vallabha raj

    ReplyDelete