Bahut Sunder.....Gahan Abhivykti...
कम शब्दों में सारगर्भित पोस्ट , आभार
बहुत खूब!
छोटी सी लाइने बहुत कुछ कह रही है... प्रेम रस
इतनी छोटी कविता में कितनी बड़ी बात कह गई हैं मंजु जी ! बहुत सुन्दर कविता है! बधाई !
नींव के पत्थरदिखते नहीं, सहते हैं, सारा बोझइमारत का.gaharai liye hue kam aur saral shabdon main saarthak post.please visit my blog.thanks.
CHAND SHABD ZINDGI KE BAHUT BADE SACHHAI KO UJAAGAR KAR GAI.
क्या बात है, बहुत ऊँची बात, कम शब्दों मे.
बहुत ही गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार कविता लिखा है आपने!
सहज साहित्य एवं सभी पाठकों का हार्दिक आभार...
कुछ शब्दों में बहुत कुछ कह दिया..बहुत सुन्दर रचना..
very nice......
गहरी बात!
Bahut Sunder.....Gahan Abhivykti...
ReplyDeleteकम शब्दों में सारगर्भित पोस्ट , आभार
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteछोटी सी लाइने बहुत कुछ कह रही है...
ReplyDeleteप्रेम रस
इतनी छोटी कविता में कितनी बड़ी बात कह गई हैं मंजु जी ! बहुत सुन्दर कविता है! बधाई !
ReplyDeleteनींव के पत्थर
ReplyDeleteदिखते नहीं,
सहते हैं, सारा बोझ
इमारत का.gaharai liye hue kam aur saral shabdon main saarthak post.
please visit my blog.thanks.
CHAND SHABD ZINDGI KE BAHUT BADE SACHHAI KO UJAAGAR KAR GAI.
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत ऊँची बात, कम शब्दों मे.
ReplyDeleteबहुत ही गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार कविता लिखा है आपने!
ReplyDeleteसहज साहित्य एवं सभी पाठकों का हार्दिक आभार...
ReplyDeleteकुछ शब्दों में बहुत कुछ कह दिया..बहुत सुन्दर रचना..
ReplyDeletevery nice......
ReplyDeleteगहरी बात!
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