आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (04.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/ चर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा) स्पेशल काव्यमयी चर्चाः-“चाहत” (आरती झा)
Bahut Sunder.....Gahan Abhivykti...
ReplyDeleteकम शब्दों में सारगर्भित पोस्ट , आभार
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteछोटी सी लाइने बहुत कुछ कह रही है...
ReplyDeleteप्रेम रस
इतनी छोटी कविता में कितनी बड़ी बात कह गई हैं मंजु जी ! बहुत सुन्दर कविता है! बधाई !
ReplyDeleteनींव के पत्थर
ReplyDeleteदिखते नहीं,
सहते हैं, सारा बोझ
इमारत का.gaharai liye hue kam aur saral shabdon main saarthak post.
please visit my blog.thanks.
CHAND SHABD ZINDGI KE BAHUT BADE SACHHAI KO UJAAGAR KAR GAI.
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत ऊँची बात, कम शब्दों मे.
ReplyDeleteबहुत ही गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार कविता लिखा है आपने!
ReplyDeleteसहज साहित्य एवं सभी पाठकों का हार्दिक आभार...
ReplyDeleteआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (04.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
स्पेशल काव्यमयी चर्चाः-“चाहत” (आरती झा)
कुछ शब्दों में बहुत कुछ कह दिया..बहुत सुन्दर रचना..
ReplyDeletevery nice......
ReplyDeleteगहरी बात!
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