भाई बहन के प्यार को आगे बढ़ाने का प्रयास किया शायद आपको पंसद आए ...
गंगा की धार
है बहनों का प्यार
बही बयार। रा०
अधूरा प्यार
शामिल न जिसमें
भाई दुलार। भा०
पावन मन
जैसे नील गगन
नहीं है छोर ।रा०
भाई बहन
चाँद और सितारे
झूमे गगन। भा०
शीतल छाँव
ये जहाँ धरे पाँव
मेरी बहन । रा०
थमी रूलाई
लो परदेस आया
मेरा भी भाई। भा०
भावना
गंगा की धार
है बहनों का प्यार
बही बयार। रा०
अधूरा प्यार
शामिल न जिसमें
भाई दुलार। भा०
पावन मन
जैसे नील गगन
नहीं है छोर ।रा०
भाई बहन
चाँद और सितारे
झूमे गगन। भा०
शीतल छाँव
ये जहाँ धरे पाँव
मेरी बहन । रा०
थमी रूलाई
लो परदेस आया
मेरा भी भाई। भा०
भावना
अनोखा।
ReplyDeleteअद्भुत!
बहुत संवेदनशील।
भाई बहनों की पावनता को रचना ने और सरस बना दिया ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जुगलबंदी..आनन्द आ गया.
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! भाई बहन का प्यार तो अटूट होता है!
ReplyDeleteभाई-बहिन के प्यार को कितने सुन्दर शब्दों में बाँधा है.....लगता ही नहीं कि यह किसी दो कलमों ने लिखा है....
ReplyDeleteदो कलमें और एक विचार
वाह ! जी ! वाह !
मन खुश हो गया पढ़कर !
ऐसे ही आप दोनों की कलम कुछ नया लिखती रहे...यही है मेरी दुया रब्ब से !!!
दो अलग-अलग लोगों द्वारा जुगलबन्दी की यह अनोखी मिसाल देखी...सच में , मज़ा तो आया और साथ ही दोनो को बधाई दिए बिना मन नहीं माना...।
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