पथ के साथी

Friday, September 12, 2008

पनघट


पनघट
मेरे सिर पै बण्टा टोकणी,मेरे हाथ में लेज्जू डोल
मैं पतळी सी कामिनी , मेरे हाथ में लेज्जू डोल
एक राहे मुसाफ़िर मिल गया
-छोरी प्यासे को दो पाणी पिलाय
मैं परदेसी दूर का।
-छोरे ना मेरी डूबै डोलची
छोरे ना मेरा निवै सरीर
मैं पतळी सी कामिनी …
-छोरे किसके हो तुम पावहणे
छोरे किसके हो लेवणहार ,
मैं पतळी सी कामिनी ,…
-छोरी बाप तेरे का मैं पावहणा
छोरी तेरा हूँ लेवणहार ,
मैं पतळी सी कामिनी ,…
-छोरे अब मेरी डूबै डोलची,
अब मेरा निवै सरीर
मैं पतळी सी कामिनी …
-छोरी अब कैसे डूबै तेरी डोलची
छोरी अब कैसे निवैं सरीर ,
तू पतली-सी कामिनी
-छोरे डुबक-डुबक डूबी डोलची
छोरे तुड़ मुड़ निवै सरीर,
मैं पतळी सी कामिनी …

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