पनघट पर जाना
-सासू पनिया भरन कैसे जाऊँ,रसीले दोऊ नैना ।
-बहू ओढ़ो चटक चुनरिया,सर पै राखो गगरिया
बहू मेरी छोटी नणद लो साथ, रसीले दोऊ नैना ।
-मन्नै ओढ़ी चटक चुनरिया,सर ऊपर रखी गगरिया
हेरी मन्नै छोटी नणद ली साथ, रसीले दोऊ नैना ।
-तू बैज्जा पीपल छैंया,मैं भर लाऊँ जल गगरिया
ननदी घर नी जाकर बोल-
भाभी के पनघट पै दोस्त। रसीले दोऊ नैना ।
मेरी ननदल बड़ी हठीली,एक-एक की दो-दो लगावै
बरसात मैं करूँ तेरी सादी
गरमी मैं करूँ तेरा गौणा
भेजकर ना लूँ तेरा नाम , रसीले दोऊ नैना
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