जब तक बची दीप में बाती
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
जब तक बची दीप में बाती
जब तक बाकी तेल है ।
तब तक जलते ही जाना है
साँसों का यह खेल है॥
हमने तो जीवन में सीखा
सदा अँधेरों से लड़ना ।
लड़ते-लड़ते गिरते–पड़ते
पथ में आगे ही बढ़ना ।।
अनगिन उपहारों से बढ़कर
बहुत बड़ा उपहार मिला ।
सोना चाँदी नहीं मिला पर
हमको सबका प्यार मिला ॥
यही प्यार की दौलत अपने
सुख-दुख में भी साथ रही ।
हमने भी भरपूर लुटाई
जितनी अपने हाथ रही ॥
ज़हर पिलाने वाले हमको
ज़हर पिलाकर चले गए ।
उनकी आँखो में खुशियाँ थीं
जिनसे हम थे छले गए ॥
हमने फिर भी अमृत बाँटा
हमसे जितना हो पाया ।
यही हमारी पूँजी जग में।
यही हमारा सरमाया
>>>>>>>>>>>>>>
(गोमती एक्सप्रेस 27-7-2008)
आभार इस प्रस्तुति के लिए.
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत खूब.
बहुत सुन्दर !
ReplyDelete(भाई साहब अपने इस ब्लाग से 'वर्ड वैरीफिकेशन" की बंदिश हटाएं।)
सोना चाँदी नहीं मिला पर
ReplyDeleteहमको सबका प्यार मिला ॥
यही प्यार की दौलत अपने
सुख-दुख में भी साथ रही ।
हमने भी भरपूर लुटाई
जितनी अपने हाथ रही
बस इतनी सी बात इंसान समझ ले कि जीवन में सोना चाँदी ही सब कुछ नहीं होता तो जिंदगी सँवर जाये
मंजु