इसे ध्यान में रखना
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
जो करना है सो कर ।
जब मरना है तब मर॥
अहसानों का बदला जग में
कुछ भी हो सकता है॥
जिसकी खातिर फूल बिछाए
काँटे बो सकता है ।
इसे ध्यान में रखना ॥
ये बेटे ये भाई
इतनी हुई कमाई ।
समझो आने वाले कल में
सब कुछ ढह सकता है।
सम्बन्धों का यह प्रासाद
पल में बह सकता है ।।
इसे ध्यान में रखना ॥
ये मुस्काकर मिलते
सदा कमल से खिलते ।
मुखड़े पर आभा उतरी है
दिल में दाग़ भरे हैं।
वाणी में मिसरी घोली है
मन में कपट धरे हैं ॥
इसे ध्यान में रखना ॥
अपनेपन की बातें
झूठे रिश्ते-नाते ।
मंज़िल तक तो जाना होगा
तुमको निपट अकेले।
साथ तुम्हारे नहीं रहेंगे
ये जीवन के मेले॥
इसे ध्यान में रखना ॥
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-10-4-2008(ग्वालियर)
‘क्या तुम्हें नज़र नहीं आता
ReplyDeleteकि हमारी आज़ादियाँ दरअसल
सेठों , नौकरशाहों और राजनेताओं ने
अपनी अंटी में बाँध ली हैं।’
सोलह आने सच ! चंद शब्दों में राजनीति की पूरी की पूरी तस्वीर उतार कर रख दी है. एक सार्थक रचना
मंजु
मंजु
‘नई रोशनी मिल जाएगी
ReplyDeleteजगनू होंगे ,दीपक होगा
चाँद सितारे कुछ तो होंगे
सूरज भी आ ही जाएगा
आस न छोड़ो।’
वो सुबह कभी तो आएगी...... आस न छोड़ना उम्मीद पे दुनिया कायम है.
मंजु