डॉ. पूनम चौधरी
आपका होना है सौभाग्य,
मिले जो छाया कड़ी
धूप में ।
था शायद अनुकूल विधाता,
मिले जो हमको पिता रुप में ।।
शक्ति के थे स्रोत आप ही,
कठिन समय में बने हो संबल।
सदा की वर्षा अमृत की,
खुद पिया क्यों सदा हलाहल।।
रहे ओढ़कर सदा कठोरता,
प्रेम हृदय का देख ना पाए।
सारे सुख लिख दिए भाग्य में
बिना बड़प्पन बिना जताए।।
हम बच्चे थे समझ न पाए,
कभी कही न हमसे पीड़ा।
कैसे बोझ उठाते सबका,
और जुटाते सबकी सुविधा ।।
फिर भी नहीं दुखाते मन को,
न रोया किस्मत का रोना।
यही सिखाया है जीवन भर
निश्चित है पाना और खोना।।
आप थे सागर इच्छाओं के,
हमने भर- भर हाथ उलीचे।
आँसू, पीड़ा, धूप, पसीना
कष्ट थे कितने सुख के नीचे।।
नहीं दिखा वो त्याग, समर्पण
नहीं दिखा संघर्ष आपका।
खुद को देकर सींचा हमको
हम समझे कर्तव्य बाप का।।
जितना मिला वो असीम है,
क्या भरपाई हम कर पाए।
वो पिता है सब कुछ करके
तिलभर न अभिमान जताए।।
आज खड़े हैं जगह आपकी
पल- पल मन होता है भारी।
शब्द नहीं हैं हों उऋण हम,
क्षमा कर सको भूल हमारी।।
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भावपूर्ण, मर्मस्पर्शी कविता। बहुत सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteधन्यवाद सर 🙏
Deleteबहुत सुंदर एवं सत्य को दर्शाती कविता!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
धन्यवाद मैम 🙏
Deleteसुंदर कविता!!
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी कविता ।पिता की साकार छवि।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteअति सुन्दर भाव 🙏🙏सादर 🙏
ReplyDeleteअनुपमा त्रिपाठी
बहुत मार्मिक।
ReplyDeleteपिता पर कविता करना एक दुश्कर कार्य है-आपने अपने मनोभावों को नियंत्रित करते हुए अच्छी कविता रची-शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteपिता पर कविता करना एक दुश्कर कार्य है-आपने अपने मनोभावों को नियंत्रित करते हुए अच्छी कविता रची-शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शी कविता....👏🏻👏🏻
ReplyDeleteसुंदर कविता 💐
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