पथ के साथी

Friday, February 28, 2025

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 रुत वासन्ती आती है...

             प्रणति ठाकुर

 


आम्र मंजरी की मखमल सी राहों पर पग धर- धरकर 

शुभ्र, सुवासित अनिल श्वास में,पोर - पोर में भर -भरकर

ये अवनी सुखदा सज-धज  जब राग प्रेम के गाती है 

तब शिशिर शिविर में हलचल करती रुत वासन्ती आती है।

 

जब मदन बाण से दग्ध हृदय ले कली- कली खिल जाती है

जब पीत रंग का वसन पहन ये धरा मुदित मुस्काती है 

जब अंतर का अनुताप सहन कर कोकिल गीत सुनाती है

तब शिशिर शिविर में हलचल करती रुत वासन्ती आती है।

 


जब पथिक हृदय का प्रेम प्रगल्भित हो  पलाश का फूल बने 

जब अलि कुल का मादक गुंजन गोरी के मन का शूल बने

जब पनघट पर परछाई को लखकर मुग्धा शरमाती है

तब शिशिर शिविर में हलचल करती रुत वासन्ती आती है।

 

जब साँझ-भोर के मिलन डोर को थामे रात सुहानी- सी

जब टीस हृदय में उठती हो उस निश्छल प्रेम पुराने की 

जब चारु अलक  की मदिर याद नागन बनकर डस जाती है

तब शिशिर शिविर में हलचल करती रुत वासन्ती आती है।

 

गोरी के मन की पीड़ बढ़ाती विरह - व्यथा जब मुस्काए

निज श्वासों के ही मधुर गंध विरहन मन को जब बहलाए

अपने पायल की छुन -छुन जब पलकों की नींद उड़ाती है 

तब शिशिर शिविर में हलचल करती रुत वासन्ती आती है।

 

साँसों में मलय बयार लिए, अधरों पर मधुर पुकार लिये

अनुरक्त नयन के पुष्पों से सज्जित पावन उपहार लिये 

परदेसी की द्विविधा चलकर जब विरहन  द्वारे आती है

तब शिशिर शिविर में हलचल करती रुत वासन्ती आती है।

तब शिशिर शिविर में हलचल करती रुत वासन्ती आती है।

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10 comments:

  1. सुन्दर ,सुघड़ शब्दों से सजी शानदार कविता। कवियत्री को साधुवाद

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  2. वसंत के आगमन का मनभावन चित्रण करती बहुत सुन्दर कविता। प्रगति ठाकुर जी ।सुदर्शन रत्नाकर

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  3. अनिता मंडा01 March, 2025 00:27

    अद्भुत लयात्मकता है। सुंदर रचा।

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  4. वसंत का बहुत सुन्दर चित्रण।

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  5. वसंत ऋतु का मनभावन चित्रण करती बहुत सुंदर कविता!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

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  7. सुन्दर प्रस्तुति, बहुत बहुत बधाई आपको।

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  8. बहुत सुंदर

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  9. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता. बधाई प्रणति जी.

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