पथ के साथी

Thursday, September 5, 2024

1430

 

समय शिक्षक/ सुरभि डागर 

 


 

रिक्त पात्र हो तब भी 

शिक्षा ही भरपूर बनाती है

कठिन राह हो जीवन में 

गुरु की याद दिलाती है 

हैं शिक्षक अनेकों जग में

वक्त से बड़ा न शिक्षक कोई।

राम चले थे जब वन को 

गुरु शिष्ठ ने ज्ञान दिया

समय कठिन था  फिर भी

गुरु के शब्दों को मान दिया 

मर्यादा पुरुषोत्तम बने राम 

शबरी, अहल्या, केवट तक को 

उसी राम ने तार दिया ।

जिसकी धनुर्विद्या के आगे

रावण भी था  हार गया।

 गुरु द्रोण से लेकर  शिक्षा

अर्जुन ने  राष्ट्र-उद्घार किया।

बने गुरु जब सुदर्शनधारी

पार्थ को गीता - सार दिया।।

माँ जीजाबाई बनी गुरु तो

शिवा कोर्म आधार दिया

 

 

11 comments:

  1. रश्मि विभा त्रिपाठी05 September, 2024 06:20

    समय शिक्षक।
    बहुत सुंदर कविता। 💐🌷
    हार्दिक बधाई आदरणीया सुरभि जी।

    सादर

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    1. आपका हार्दिक आभार, आदरणीया रश्मि विभा त्रिपाठी जी।

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  2. वक्बत से बड़ा न शिक्षक कोई बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई सुदर्शन रत्नाकर

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  3. बहुत सुंदर कविता, हार्दिक शुभकामनाऍं।

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  4. आपका हार्दिक धन्यवाद।

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  5. बहुत सुंदर कविता।हार्दिक बधाई सुरभि जी।

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  6. गुरु की महत्ता को दर्शाती सुंदर कविता। शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई

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  7. बहुत सुंदर कविता...बहुत-बहुत बधाई सुरभि जी।

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, बधाई सुरभि जी!

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  9. बहुत सुन्दर रचना, बधाई सुरभि जी.

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