समय शिक्षक/ सुरभि डागर
रिक्त पात्र हो तब भी
शिक्षा ही भरपूर बनाती है
कठिन राह हो जीवन में
गुरु की याद दिलाती है ।
हैं शिक्षक अनेकों जग में
वक्त से बड़ा न शिक्षक कोई।
राम चले थे जब वन को
गुरु वशिष्ठ
ने ज्ञान दिया
समय कठिन था फिर भी
गुरु के शब्दों को मान दिया
मर्यादा पुरुषोत्तम बने राम
शबरी, अहल्या, केवट तक को
उसी राम ने तार दिया ।
जिसकी धनुर्विद्या के आगे
रावण भी था हार गया।
गुरु द्रोण से लेकर शिक्षा
अर्जुन ने राष्ट्र-उद्घार
किया।
बने गुरु जब सुदर्शनधारी
पार्थ को गीता - सार दिया।।
माँ जीजाबाई बनी गुरु तो
शिवा को धर्म आधार दिया ।
समय शिक्षक।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता। 💐🌷
हार्दिक बधाई आदरणीया सुरभि जी।
सादर
आपका हार्दिक आभार, आदरणीया रश्मि विभा त्रिपाठी जी।
Deleteवक्बत से बड़ा न शिक्षक कोई बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार।
Deleteबहुत सुंदर कविता, हार्दिक शुभकामनाऍं।
ReplyDeleteआपका हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता।हार्दिक बधाई सुरभि जी।
ReplyDeleteगुरु की महत्ता को दर्शाती सुंदर कविता। शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता...बहुत-बहुत बधाई सुरभि जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, बधाई सुरभि जी!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, बधाई सुरभि जी.
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