पथ के साथी

Saturday, August 31, 2024

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सत्तर पार की नारियाँ/ शशि पाधा 

  

मन  दर्पण में खुद को ही 

तलाशती हैं नारियाँ

क्यों इतनी  बदल जाती हैं 

ये सत्तर पार की नारियाँ



रोज़-रोज़ लिखती हैं अपने  

अनुबंध, अधिकार 

बदला- बदला- सा  लगता  है 

उनको नित्य अपना संसार 


वक्त की दहलीज पर 
भी

दूर तक  निहारती  हैं नारियाँ

उस पार क्या अब ढूँढती हैं 

ये सत्तर पार की नारियाँ

 

चुपचाप कहीं धर देती हैं 

अपने अनुभवों की गठरी 

फेंक ही देते हैं लोग अक्सर  

यों बरसों पुरानी कथरी 


दीवार  पर
टँगी तस्वीर में 

खुद को पहचानती  हैं नारियाँ

फिर मन ही मन  मुस्कुरातीं हैं 

ये सत्तर पार की नारियाँ


बदल लेती हैं सोच अपनी

देख जमाने के रंग-ढंग 

धरोहर- सा रहता है उनका  

अतीत,सदा  अंग- संग 

फिर  बचपन की गलियों में 

लौट जाती  हैं नारियाँ

फिर से वही  बच्ची हो जाती हैं 

ये सत्तर पार की नारियाँ|

 

सह ही लेती हैं चुपचाप 

कोई दंश हो या चुभन 

जानती हैं क्या है आज की 

दुनिया का बदला  चलन 

 

फिर चुप्पी का महामंतर 

साध लेती  हैं नारियाँ

कितनी समझदार हैं ये 

सत्तर पार की नारियाँ

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13 comments:

  1. बहुत भावपूर्ण कविता।
    हार्दिक बधाई आदरणीया शशि दीदी

    सादर

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  2. रश्मि विभा त्रिपाठी31 August, 2024 04:34

    बहुत भावपूर्ण कविता।
    बधाई आदरणीया शशि दीदी

    सादर

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  3. उनके सुख और दुःख, उनकी आकांक्षाऍं और ऑंसू सब दबे रहते हैं सत्तर पार तक , अच्छी रचना है, हार्दिक शुभकामनाऍं।

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  4. बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने हार्दिक बधाई।
    सुरभि डागर

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  5. बहुत सुंदर, सत्तर पार की नारियों का यथार्थ चित्रण करती भावपूर्ण कविता। हार्दिक बधाई शशि जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  6. सत्तर पार की नारियों की मनःस्थिति को बहुत सुंदरता से अभिव्यक्त करने के लिए शशि जी को बधाई 💐

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  7. बहुत सुंदर भाव, आदरणीया शशि दीदी!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  8. कितने सुंदर भाव कविता के

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  9. मेरी रचना को स्नेह देने के लिए आप सब का आभार ।

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  10. बहुत ही सुन्दर सृजन

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  11. बहुत सुन्दर रचना. यूँ सत्तर पार की नारियाँ हों या कोई भी नारी सभी की यही व्यथा. भावपूर्ण रचना के लिए बधाई शशि पाधा जी.

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  12. बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता... हार्दिक बधाई शशि जी।

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  13. अत्यंत अनुभवों से पूर्ण कविता है शशि जी। यह केवल ७० पार की नारियाँ ही समझ सकती हैं । बहुत खूब रचना है हार्दिक बधाई स्वीकारें। सविता अग्रवाल “सवि”

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