पथ के साथी

Monday, January 1, 2024

1393

 

नववर्ष गीत

डॉ. सुरंगमा यादव

 


प्राची में सूरज की लाली

देखो कैसी छटा निराली!

नव आलोक हृदय में भर ले

जग री आली जग री आली !

नैना जागे मन है उनींदा

जैसे बादल जल से रीता

नवचेतनता मन में भर ले

अलस त्यागकर अब तो आली !

जीवन पल-छिन बीता जाता

पल में क्या से क्या हो जाता

रूठे सजन मनाकर हँस ले

पीछे मत पछताना आली!

जो पतझर से घबराएगा

गीत वसंती क्या गागा

टूटे तारों को उठ कस ले

राग नया फिर गा ले आली!

बिछड़ गया जो साथी पथ में

साथ न तेरे चल पागा

निज पलकों की नमी छिपाकर

तुझको हँसना होगा आली !

 

9 comments:

  1. वाह नव वर्ष के प्रथम दिवस पर सुंदर सामयिक कविता डॉ सुरंगमा यादव जी को शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर गीत, हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर गीत।
    हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीया 💐🌷

    सादर

    ReplyDelete
  4. कितनी सुंदर रचना वाहह! जैसे प्रकृति जीवंत हो गई 🌹🌹🌹🌹🙏

    ReplyDelete
  5. वाह सुंदर गीत सुरंगमा जीं । हार्दिक बधाई। नववर्ष की शुभकामनाओं सहित… सविता अग्रवाल “सवि”

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर गीत....हार्दिक बधाई एवं नववर्ष की मंगलकामनाएँ सुरंगमा जी।

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर गीत, हार्दिक बधाई. नव वर्ष की मंगलकामनाएँ!

    ReplyDelete
  9. इस प्यारी कविता के लिए हार्दिक बधाई

    ReplyDelete