नववर्ष गीत
डॉ. सुरंगमा यादव
प्राची में सूरज की लाली
देखो कैसी छटा निराली!
नव आलोक हृदय में भर ले
जग री आली जग री आली !
नैना जागे मन है उनींदा
जैसे बादल जल से रीता
नवचेतनता मन में भर ले
अलस त्यागकर अब तो आली !
जीवन पल-छिन बीता जाता
पल में क्या से क्या हो जाता
रूठे सजन मनाकर हँस ले
पीछे मत पछताना आली!
जो पतझर से घबराएगा
गीत वसंती क्या गाएगा
टूटे तारों को उठ कस ले
राग नया फिर गा ले आली!
बिछड़ गया जो साथी पथ में
साथ न तेरे चल पाएगा
निज पलकों की नमी छिपाकर
तुझको हँसना होगा आली !
वाह नव वर्ष के प्रथम दिवस पर सुंदर सामयिक कविता डॉ सुरंगमा यादव जी को शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत, हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीया 💐🌷
सादर
कितनी सुंदर रचना वाहह! जैसे प्रकृति जीवंत हो गई 🌹🌹🌹🌹🙏
ReplyDeleteवाह सुंदर गीत सुरंगमा जीं । हार्दिक बधाई। नववर्ष की शुभकामनाओं सहित… सविता अग्रवाल “सवि”
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत....हार्दिक बधाई एवं नववर्ष की मंगलकामनाएँ सुरंगमा जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत, हार्दिक बधाई. नव वर्ष की मंगलकामनाएँ!
ReplyDeleteइस प्यारी कविता के लिए हार्दिक बधाई
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