पथ के साथी

Monday, November 6, 2023

1385

 सुकून

स्वाति शर्मा

 


सुकून की खातिर

घर से दूर आ गए

अपने छोड़े,

रातों के सपने छोड़े

जीवन में तन्हाई

गमों में गहराई,

ना खाने का होश

ना पीने की सुध

बस चलते जा रहे

पाई- पाई जोड़ रहे

दोस्ती टूटी

रिश्ते छूटे

बस इक सुकून की खातिर

 

सबसे दूर आ गए

सुकून की खातिर

घर से दूर आ गए।

-0-

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर सृजन।
    हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  3. भावपूर्ण कविता. बधाई स्वाति जी.

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर कविता। बधाई स्वाति जी। सुदर्शन रत्नाकर

    ReplyDelete
  5. सुंदर कविता !

    ~सादर
    अनिता ललित

    ReplyDelete
  6. सुंदर कविता, बधाई स्वाति जी!!

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  8. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।🙏🏻🙂
    ~ स्वाति शर्मा

    ReplyDelete
  9. सुंदर भावपूर्ण सृजन।

    ReplyDelete
  10. अनुभूति की सुंदर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete