पथ के साथी

Tuesday, October 24, 2023

1380

 


हरसिंगार

सुरभि डागर

 


हरी-हरी डालियों पर 

भरे  हरसिंगार के  फूलों से

वायु भी सुरभित हो

हृदय को स्पर्श कर

मन को सिंचित कर देती,

मानों रात ही महक उठी हो ।

सुवह की भोर में शा से झरकर

बिखर जाते हैं धरा की गोद‌ में,


जा प
हुँचते हैं

किसी की पूजा की  थाली में

हो जाते हैं महादेव पर समर्पित

और पूर्ण हो जाती है

गंगाजल में विसर्जित होकर

हरसिगार की जीवन-यात्रा।

बस ये ही जीवन है ! !

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3 comments:



  1. उम्दा रचना...हार्दिक बधाई सुरभि जी।

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  2. आपका बहुत बहुत आभार 🙏 मैम

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  3. आपकी रचना पढ़ने के बाद वाकई में दिल को सुकून मिलता है

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