पथ के साथी

Thursday, September 28, 2023

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 दोहे

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1

गर्म तवे पर बैठकर, खाएँ कसम हज़ार ।

दुर्जन सुधरें ना कभी, लाख करो उपचार॥

2

चाहे तीरथ घूम लो, पढ़ लो  वेद, पुराण ।

छल -कपट मन  में भरे, हो कैसे कल्याण ॥

3

वाणी में ही प्रभु बसे, मन में कपट- कटार ।

लाख भजन करते रहो, जीवन है बेकार ॥

4

आचमन कटुक वचन का, करते जो दिन -रात ।

घर -बाहर वे बाँटते, शूलों की सौगात ॥

5

उऋण कभी होना नहीं, मुझ पर बहुत उधार।

 कभी चुकाए ना चुके, इतना तेरा प्यार

6

जीवन में मुझको मिले, केवल तेरा प्यार

जग में फिर इससे बड़ा, कोई ना उपहार

7

श्वास -श्वास प्रतिपल करे, इतना सा आख्यान।

जीवन में हरदम मिलेतुम्हें प्यार सम्मान.                 

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19 comments:

  1. आपकी लेखनी सराहनीय होती है हमेशा , एक से बढ़कर एक दोहा हार्दिक बधाई आपको अंकल जी ।
    सादर
    सुरभि डागर

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  2. बहुत मार्मिक दोहे, हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।

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  3. बहुत सुन्दर दोहे, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  4. बहुत सुंदर दोहे। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

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  5. सुंदर!

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  6. अतिसुन्दर, अतिभावपूर्ण दोहे! सादर नमन !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  7. बहुत सुंदर भावपूर्ण दोहे... हार्दिक बधाई।

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  8. आप सभी गुणिजन का आभार

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  9. सभी दोहे बहुत सुन्दर । सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई हिमांशु भाई ।
    विभा रश्मि

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  10. बहुत सुंदर दोहे!हार्दिक बधाई भैया।

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  11. प्रेरक दोहे।बहुत बहुत बधाई।

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  12. वाणी में ही प्रभु बसे, मन में कपट- कटार ।
    लाख भजन करते रहो, जीवन है बेकार ॥

    अप्रतिम भाव... अद्भुद सृजन् सादर 🙏🏻🙏🏻

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  13. आदरणीय भाई कम्बोज जी, सभी दोहे सुंदर सृजन हैं बधाई स्वीकारें।सविता अग्रवाल “सवि”

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  14. सुंदर, सरल शब्दों में जीवन का व्याख्यान!! धन्यवाद आदरणीय!

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  15. बहुत सुन्दर दोहे

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  16. सभी दोहे जीवन की सत्यता को दर्शा रहे हैं. बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे के लिए हार्दिक बधाई भैया.

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  17. जीवन के कटु सत्य को उकेरते इन सार्थक-सुंदर दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई

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