दोहे
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
गर्म तवे पर बैठकर, खाएँ कसम हज़ार ।
दुर्जन सुधरें ना कभी, लाख करो उपचार॥
2
चाहे तीरथ घूम लो, पढ़ लो वेद,
पुराण ।
छल -कपट मन में भरे, हो
कैसे कल्याण ॥
3
वाणी में ही प्रभु बसे, मन में कपट- कटार ।
लाख भजन करते रहो, जीवन है बेकार ॥
4
आचमन कटुक वचन का, करते जो दिन -रात ।
घर -बाहर वे बाँटते, शूलों की सौगात ॥
5
उऋण कभी होना नहीं, मुझ पर बहुत उधार।
कभी चुकाए ना चुके, इतना तेरा प्यार॥
6
जीवन में मुझको मिले, केवल तेरा प्यार ।
जग में फिर इससे बड़ा, कोई ना उपहार॥
7
श्वास -श्वास प्रतिपल करे, इतना सा आख्यान।
जीवन में हरदम मिले, तुम्हें प्यार सम्मान.
-0-
आपकी लेखनी सराहनीय होती है हमेशा , एक से बढ़कर एक दोहा हार्दिक बधाई आपको अंकल जी ।
ReplyDeleteसादर
सुरभि डागर
आभार!
Deleteबहुत मार्मिक दोहे, हार्दिक बधाई शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत सुन्दर दोहे, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteसुंदर!
ReplyDeleteअतिसुन्दर, अतिभावपूर्ण दोहे! सादर नमन !
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर भावपूर्ण दोहे... हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआप सभी गुणिजन का आभार
ReplyDeleteसभी दोहे बहुत सुन्दर । सार्थक सृजन के लिए हार्दिक बधाई हिमांशु भाई ।
ReplyDeleteविभा रश्मि
बहुत सुंदर दोहे!हार्दिक बधाई भैया।
ReplyDeleteप्रेरक दोहे।बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteवाणी में ही प्रभु बसे, मन में कपट- कटार ।
ReplyDeleteलाख भजन करते रहो, जीवन है बेकार ॥
अप्रतिम भाव... अद्भुद सृजन् सादर 🙏🏻🙏🏻
आदरणीय भाई कम्बोज जी, सभी दोहे सुंदर सृजन हैं बधाई स्वीकारें।सविता अग्रवाल “सवि”
ReplyDeleteसुंदर, सरल शब्दों में जीवन का व्याख्यान!! धन्यवाद आदरणीय!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहे
ReplyDeleteसभी दोहे जीवन की सत्यता को दर्शा रहे हैं. बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे के लिए हार्दिक बधाई भैया.
ReplyDeleteजीवन के कटु सत्य को उकेरते इन सार्थक-सुंदर दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसीख देते सरल - सरस दोहे । हार्दिक बधाई हिमांशु भाई ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दोहे । हार्दिक बधाई हिमांशु भाई ।
ReplyDeleteविभा रश्मि