पथ के साथी

Tuesday, September 12, 2023

1370-अपराधी

 



19 comments:

  1. आह ! भी और वाह! भी। अत्यंत मर्मस्पर्शी लघुकथा आदरणीय भैया जी! नमन आपको एवं आपकी लेखनी को।

    ~सादर
    अनिता ललित

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  2. संसार के खोखलेपन और असलियत को उजागर करती एक मार्मिक लघुकथा ।
    हार्दिक बधाई हिमांशु भाई ।
    विभा रश्मि

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  3. बेहद मार्मिक लघुकथा।क्रूर समाज संवेदनशील लोगों को सदैव लांछित कर उसे मृत्यु की ओर ले जाते हैं।नमन आपकी लेखनी को।

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  4. बहुत ही मार्मिक लघुकथा

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  5. हृदयस्पर्शी लघुकथा ।बधाई भैया।

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  6. आपकी ये लघुकथा जब भी पढ़ती हूँ, मन भर आता है।
    संवेदनशील व्यक्ति की गहन संवेदना को प्रस्तुत करती भावपूर्ण लघुकथा 🌹

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  7. मर्मस्पर्शी लघुकथा। संवेदनशील व्यक्ति की संवेदनाओं के चित्रण के के साथ आपने दोगले व्यक्तियों के चेहरे से भी मुखौटे उतारे हैं जो दूसरों को जीने नहीं देते। बधाई सुदर्शन रत्नाकर

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  8. बेहतरीन लघुकथा। संवेदना हीन समाज का आइना दिखाती है। हार्दिक बधाई इस कालजयी लघुकथा के लिए।

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  9. बहुत अच्छी लघुकथा, हार्दिक बधाई शुभकामनाएं

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  10. हृदय स्पर्शी लघुकथा भैया। ऐसा ही है यह समाज

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  11. मर्मस्पर्शी लघुकथा
    नमन गुरुवर

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  12. भाई कामबोज जी, बहुत मार्मिक कहानी है। हार्दिक बधाई। सविता अग्रवाल “सवि”

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  13. बहुत मर्मस्पर्शी लघुकथा...हार्दिक बधाई आपको।

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  14. बेहद मार्मिक!

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  15. समाज के कटुसत्य की मर्मस्पर्शी लघुकथा। धन्यवाद आदरणीय!

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  16. बहुत ही संवेदनशील कथा! संसार में सद्भावना और क्रूरता दोनों का वर्णन आपने कुछ ही क्षणों में कर दिया है।

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  17. भैया पहले भी यह लघुकथा पढ़ी थी जितना मन विचलित तब हुआ था आज दुबारा पढ़ने पर भी आँखें नम हैं। किन शब्दों से प्रशंसा करूँ ? यह लघुकथा सराहना से बहुत ऊपर, कालजयी कृति है। आपकी लेखनी को नमन 🙏

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  18. बहुत मार्मिक लघुकथा। दूसरों का दुख हरनेवाले के साथ ऐसा ही होता है। उत्कृष्ट सर्जन के लिए हार्दिक बधाई भैया।

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  19. बहुत मार्मिक लघुकथा।
    सादर

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