पथ के साथी

Wednesday, July 5, 2023

1342

हमारा प्यार

रश्मि विभा त्रिपाठी

 


तुम मेरे कृष्ण

मैं तुम्हारी राधा

हमारा प्यार

दुनिया के लिए है

प्यार का

एक सबसे पवित्र

उदाहरण

मगर

तुम द्वारका में

मैं बरसाने में

किसी भी जमाने में

मैं तुम्हें

नहीं कर पाऊँगी वरण

पिछले जनम

जब तुम मेरे राम थे

तब भी मेरा हुआ था हरण

हम कहाँ रह सके

एक दूजे के संग- संग

मन में ही

दबी रह गई

मिलने की उमंग

जब तुम थे मेरे फरहाद

और मैं शीरीं

तो

क्या तुम्हें है याद?

हमारे बीच

तब भी तो नहीं हो सका

कोई भी प्रेम- संवाद

जब

तुम थे राँझा

मैं तुम्हारी हीर

हम एक आत्मा

दो शरीर

कहाँ

एक दूजे के गले मिलकर

हमने तृप्ति पाई

कहाँ

मिला पाई

हमें तकदीर

जब- जब तुम आए

बाँहें फैलाए

हमारी राह में

कितने तूफ़ान आए

सुनो

हम मिलेंगे

तो सिर्फ

ख्वाबों- खयालों में

तुम्हारे नाम के ही होंगे

वे सारे पल

गुजरते दिन महीने सालों में।

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9 comments:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

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  2. प्रेम की पीर शाश्वत है,इस पीड़ा को रश्मि जी ने बहुत सहजता से प्रस्तुत किया है।बधाई।

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  3. बहुत सुन्दर रचना, हार्दिक बधाई
    सादर
    सुरभि डागर

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  4. बहुत सुंदर-भावपूर्ण। हार्दिक बधाई रश्मि जी।

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  5. सुंदर भावपूर्ण रचना... बहुत-बहुत बधाई रश्मि जी।

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  6. बेहद भावपूर्ण... प्रेम में भीगी रचना
    हार्दिक बधाई रश्मि जी

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  7. बहुत भावुक और भावपूर्ण कविता, बधाई रश्मि जी.

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  8. हार्दिक बधाई प्रिय रश्मि , कृष्ण प्रेम से ओतप्रोत ।

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  9. विभा रश्मि

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