पथ के साथी

Wednesday, May 31, 2023

1323-मैंने तुमसे प्रेम नहीं किया

 

रश्मि विभा त्रिपाठी

 


मैंने तुमसे

प्रेम नहीं किया

बस

अपनी देह पर तुम्हारी

उँगलियों के कुछ निशान लिये हैं

बस

अपनी आत्मा को

तुम्हारी आत्मा के निकट

ले जाने का प्रयास किया है

अहो भाग्य!

मुझे इसमें पूरी सफलता मिली है;

क्योंकि जब मेरी आत्मा

आहत हुई

तुम्हारी आत्मा में भी

उठी

उसी समय आकुलता

मैंने तुमसे प्रेम नहीं किया

बस

तुम्हारे हृदय की डोर को बाँधा

अपने हृदय से

और

सचमुच

बड़ी पक्की है यह डोर

जब मेरा दम

घुटने लगता है

तुम खींच लेते हो मुझे

जीवन की ओर

मैंने तुमसे प्रेम नहीं किया

बस

एक दिन तुम्हें

इसलिए

गले लगाया था ;

ताकि तुम्हारी धड़कन

और अपनी धड़कन की

आपस में

पहचान करवा दूँ

जब

मेरा दिल धड़के जोर से

तब तुम भी शांत न रह पाओ

उस शोर से

मैंने तुमसे प्रेम नहीं किया

बस

तुम्हारे भुजापाश में

आकर

बिखर गई

और

तुमने समेट लिया मुझे

मैंने तुमसे प्रेम नहीं किया

बस तुम्हें स्पर्श किया

ताकि तुम्हारे स्पर्श कीअनुभूति

मेरी शिराओं में

मैं जब तक जीवित हूँ

तब तक

रक्त बनकर बहे

सुनो

कोई कुछ भी कहे

 

जिस दिन मैं तुम्हें प्रेम करूँगी

तो

मेरी देह पर

तुम्हारी पवित्र उँगलियों के निशान

साक्ष्य होंगे

कि

हम

एक देह

एक आत्मा हैं,

मेरी आत्मा में उठेगा

नदी -सा प्रवाह

तुम डूब जाओगे

स्वयं में मुझको ही पाओगे

हमारे हृदय

एकाकार होंगे

दूर होकर भी

खींच लेंगे एक दूसरे को

अपने समीप

जब भी जी चाहेगा

मेरी धड़कन तुम्हारे सीने में

और तुम्हारी धड़कन

मेरे सीने में धड़केगी

तुम्हारी छाती में छुपी रहूँगी

कोई बिखेरेगा कैसे मुझे

तुम्हारा स्पर्श

मुझे जीवन देगा

जिस पल मैं तुम्हें प्रेम कर उठूँगी

मेरे भीतर तुम जन्म लोगे

पलोगे बढ़ोगे

मेरे स्त्रीत्व को परम सुख दोगे।

10 comments:

  1. बहुत सुंदर कविता,बधाई रश्मि जी

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  2. बहुत ही सुंदर कविता....

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  3. प्रेम पगी बहुत सुंदर कविता। बधाई विभा जी

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  4. बहुत सुंदर कविता...रश्मि जी बधाई।

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  5. प्रेम की गहराई को दर्शाती सुंदर कविता। बधाई रश्मि जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  6. बहुत सुंदर रचना

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  7. बहुत सुंदर कविता!हार्दिक बधाई रश्मि जी।

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  8. प्रेम की खूबसरत अभिव्यक्ति।

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  9. कविता प्रकाशित करने हेतु आदरणीय सम्पादक जी का हार्दिक आभार।
    आप आत्मीय जन की टिप्पणी की आभारी हूँ हृदय तल से।

    सादर

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  10. बहुत भावप्रवण कविता है, हार्दिक बधाई

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