पथ के साथी

Saturday, November 5, 2022

1256-अँजुरी भर आसीस

 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' 


12 comments:

  1. वाह,कोमल अनुभूतियों की सरस अभिव्यक्ति।बहुत सुंदर कविता।सादर प्रणाम।

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  2. अत्यंत भावपूर्ण.. सार्थक सुन्दर कविता सर 🌹🙏💐

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  3. बहुत सुन्दर सर ! आपके रचनात्मक वैशिष्ट्य के तौर पर प्रेम विषय को रेखांकित किया जा सकता है ,जैसा मैने आपको पढ़ा है, उसके आधार पर ।

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  4. कोमल भावों की अतिसुन्दर अभिव्यक्ति! सादर नमन!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. पावन प्रेम का सुन्दर चित्रण। बधाई भैया।

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  6. भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

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  7. बहुत ही सुन्दर

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  8. प्रेमिल भावों की संवेदनशीलता गहन पीड़ा की सुन्दर अभिव्यक्ति । बधाई हिमांशु भाई ।
    विभा रश्मि

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  9. और हल्का /हो गया मन /पीर का स्पर्श पाकर ... बहुत ही सुंदर अनुभूति
    हृदयस्पर्शी रचना
    नमन गुरुवर
    बधाई

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  10. बाँट दें सर्वस्व किसको
    व्याकुक बादल से फिरे हम.....बेहद शानदार, अनुकरणीय नवगीत आदरणीय भैया

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  11. हृदयस्पर्शी , अति सुंदर अभिव्यक्ति। धन्यवाद आदरणीय

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  12. दिल की गहराइयों तक उतरते नवगीतों के लिए बहुत बहुत बधाई

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