शशि पाधा
कन्हैया तोरी बंसी भाग भरी
निसिदिन तेरे संग जिये वो
जब से अधर धरी ।
वृन्दावन की कुंज गलिन में
गोपिन रास रचाई
सात सुरों में गूँजे बंसी
झूमें कृष्ण कन्हाई
दूर खड़ी यशोदा मैया
नयनन नेह झरी ।
छू के बंसी राधे बोली-
तू किसना अति प्यारी
श्वास- श्वास में तेरो बसते
मैं तुझसे ही हारी
किस डोरी से बाँधे तूने
पूछत पहर- घरी
राधे- राधे गाए बंसी
कान्हा हिय हरषाय
मेरे मन की बूझी तूने
पुनि पुनि गीत सुनाय
तेरे सुर की राग -रागिनी
बाँधे प्रीत -लड़ी
कन्हैया तोरी बंसी भाग भरी ।
-0- [ चित्र; गूगल से साभार]
बहुत सुंदर गीत!
ReplyDeleteबहुत मधुर गीत
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर गीत।
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई आदरणीया दीदी🌷💐🌹
सादर
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१९-०८ -२०२२ ) को 'वसुधा के कपाल पर'(चर्चा अंक -४५२७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आहा! बहुत सुंदर 🌹🙏😊
ReplyDeleteबहुत ही मनमोहक रचना
ReplyDeleteबधाई शशि जी
बहुत प्यारा गीत "बंसी भाग भरी " मिठास भरा । शशि जी खूब बधाई आपको ।
ReplyDeleteसुंदर प्यारभरा गीत!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
मनभावन रचना के लिए आपको बहुत बधाई
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