पथ के साथी

Sunday, May 8, 2022

1206- धूप गुनगुनी-

 

शशि पाधा

 

 आज भोर से आँगन में

धूप गुनगुनी छाई है,

लगता जैसे दूर देस से

 माँ मुझे मिलने आई है ।

 

भोर किरण ने चूम के पलकें

सुबह सुबह जगाया था

धीमे धीमे खोल के खिड़की

रंग स्वर्णिम बिखरया था

शीतल मंद पवन छुए जो

आँचल क्या वह तेरा है?

नीले अम्बर में बदली- सा

 तेरे स्नेह का घेरा है ?

 

अंग अंग को सिहरन देने

आई जो पुरवाई है

लगता जैसे दूर देश से

माँ ही मिलने आई है ।

 

भरी दोपहरी में अम्बर से

बिन बदली ही मेह झरा

खाली सी थी मन की गगरी

किसने आकर नेह भरा?

आँगन में तुलसी का बिरवा

धीमे धीमे डोल रहा

सौगातों से भरी पिटारी

धीरे से कोई खोल रहा |

 

अम्बुआ की डाली के नीचे

बैठी जो परछाई है

लगता जैसे दूर देश से

माँ ही मिलने आई है ।

 

देख न पाती माँ मैं तुमको

फिर भी तुम तो यहीं कहीं

आँगन में या बगिया में हो

कलियों में तुम छिपी कहीं|

 

एक बार भी मिल जाती तो

जी भर तुमसे मिल लूँ माँ

नयनों में भर सूरत तेरी

पलकों को मैं मूँद लूँ माँ

 

जानूँ तू तो यही कहेगी

माँ भी कभी परायी है ?

फिर क्यों लगता बरसों बाद

तू मुझसे मिलने आई है?

 

फिर क्यों लगता बरसों बाद -------

15 comments:

  1. अद्भुत सृजन , जाने क्यों मन भींग गया ।

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    1. अद्भुत सृजन , जाने क्यों मन भींग गया । सत्या शर्मा ' कीर्ति '

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  2. जानूँ तू तो यही कहेगी

    माँ भी कभी परायी है ?

    फिर क्यों लगता बरसों बाद

    तू मुझसे मिलने आई है? बहुत बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई शशि पाधा जी। सुदर्शन रत्नाकर

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  3. प्रकृति का हर सुखद स्पर्श माँ की छुवन का अहसास दे रहा है,भावुक करती बहुत सुंदर कविता।सम्मान्य शशि पाधा जी को प्रणाम।

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  4. बहुत ही भावपूर्ण।

    आपकी लेखनी को नमन आदरणीया।

    सादर प्रणाम

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  5. माँ का रिश्ता होता ही इतना आत्मीय है। सुंदर लिखा।

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  6. बहुत सुन्दर कविता, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  7. ब बहुत सुंदर कविता 🌺

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  8. बहुत सुंदर। मन भावुक हो गया।बधाई आदरणीया।

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  9. बहुत सुंदर कविता... हार्दिक बधाई शशि पाधा जी।

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  10. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई।-परमजीत कौर'रीत'

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  11. सत्य शर्मा कीर्ति जी, सुदर्शन रत्नाकर जी,परमजीत कौर जी, कृष्णा जी ,सुरंगमा जी,अनीता जी, रश्मिविभा जी, शिवजी,भीकम सिंह जी , आप सब का ह्रदय से आभार | भैया काम्बोज जी का धन्यवाद इस रचना को सहज साहित्य में स्थान देने के लिए| शशि पाधा

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  12. माँ के नर्म स्पर्श सी कविता। बधाई शशि जी!

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  13. भावमय - भीगी , हृदय स्पर्शिल कविता के लिए स्नेही शशि पाधा जी को दिली बधाई ।

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  14. विभा रश्मि

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