सेदोका- रश्मि विभा त्रिपाठी
1
मेरे हेतु की
प्रसन्नता प्रणीत
प्रणम्य तुम मीत
पाके तुम्हारा
अनुराग पुनीत
मैं हूँ अनुगृहीत।
2
जब भी हुई
तनिक भयभीत
गाए कामना- गीत
निर्भय रखे
मुझे तुम्हारी प्रीत
आभार!!! मेरे मीत।
3
तुम मिले तो
मिट गया मलाल
मन है खुशहाल
मेरे स्वर को
दे रहे तुम ताल
दिन- महीने- साल।
4
तुम शशि- से
आए लेके जुन्हाई
तम को दी विदाई
जग- अमा में
ज्योति मुझे दिखाई
जीर्ण आशा जिलाई!!
5
प्रिय चंदा- से
बरसाई चाँदनी
अमृत- धारा बनी
आँगन भरा
ढेरों चाँदी की कनी
अहा!!! जीवन धनी।
6
तुमने सींचा
नव आशा से भरा
मन का बाग हरा
तुम्हारी प्रीति
प्रिय! मेरी उर्वरा
खिली, सौरभ झरा।
7
धरे हाथों में
भावों के मुक्ताहार
भव्यतम सत्कार
पावन प्रीति
पग रही पखार
प्रिय आ गए द्वार।
8
कर न पाऊँ
अपनी श्रद्धा व्यक्त
आखर हैं अशक्त
प्रेम आराध्य
प्रिय की बनी भक्त
जग से मैं विरक्त।
9
प्रिय तुमने
सुधारी चाल ग्रह
शांत सारा कलह
मुझे उबारा
आशीर्वाद दे यह
'तू सदा सुखी रह'।
10
अमा की घड़ी
आसन अनायास
लगाएँ मेरे पास
प्रिय चंदा- से
बाँटें मुझे उजास
विफल तम- त्रास।
-0-
मेरे सेदोका प्रकाशित कर मुझे प्रोत्साहन देने के लिए आदरणीय सम्पादक जी का हार्दिक आभार।
ReplyDeleteसादर 🙏
बहुत ही सुंदर सृजन रश्मि जी, आनन्द आ गया। यूँहीं लिखती रहिए!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सर्जन, बधाई रश्मि जी.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लिखा। आत्मिक बधाई प्रिय रश्मि ।
ReplyDeleteबेहतरीन, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन...हार्दिक बधाई रश्मि जी।
ReplyDeleteमुझे प्रोत्साहन देती आप सभी आत्मीय जनों की टिप्पणी की मैं हृदय तल से आभारी हूँ।
ReplyDeleteसादर 🙏
बहुत सुंदर सृजन। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteभावपूर्ण सृजन के लिए बधाई रश्मि जी
ReplyDeleteपावन प्रीत की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई रश्मि जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सेदोका...प्रिय रश्मि को बहुत बधाई
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