पथ के साथी

Tuesday, March 8, 2022

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दोहे

1-रामेश्वर काम्बोज हिमांशु

1

मधुर भोर को ढूँढते  तुझमें पागल नैन ।

साँझ हुई फिर रात भी, तरसे मन बेचैन।

2

चिड़िया पिंजर में फँसी, दूर बहुत आकाश।

पंख कटे स्वर भी छिना, पंजों में भी पाश।

-0-

2-डॉ. उपमा शर्मा

 

नारी तू नारायणी,फूँक शक्ति का शंख।

मुक्त गगन में उड़ ज़रा,फैला अपने पंख।

-0-

3-कभी सोचती हूँ

प्रियंका गुप्ता 

 

कभी सोचती हूँ

रेत बन जाऊँ

पर फिसल जाऊँगी हाथों से;

कभी बन जाऊँ अगर

काँच का एक टुकड़ा

तो चुभ जाऊँगी कहीं

खून निकल आएगा;

बर्फ़ सी जम जाऊँ अगर

तो धमनियों में बहता खून

न जम जाए कहीं;

चलो,

सोचती हूँ

क्या बन जाऊँ

जो तुम्हें पसन्द हो

पर फिर लगता है

मैं 'मैं' ही रहूँ तो बेहतर,

वरना 

मेरे 'मैं' न होने पर

तुम प्यार किससे करोगे ?

-0-

4-पिंजरे में चिड़िया (चोका)

 रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

 

क़ैद हो गई

पिंजरे में चिड़िया

भीतर चुप्पी

बाहर अँधियार

मन में ज्वार,

चहचहाना मना

फुदके कैसे

पंजों में बँधी डोरी

भूली उड़ान,

बुलाए आसमान।

ताकते नैन

छटपटाए तन

रोना है मना

रोकती लोक-लाज

गिरवी स्वर,

गीत कैसे गाएँगे

जीवन सिर्फ

घुटन की कोठरी

आहें न भरें

यूँ ही मर जाएँगे।

चुपके झरे

आकर जीवन में

बनके प्राण

हरसिंगार-प्यार,

लिये कुठार

सगे खड़े हैं द्वार

वे करेंगे  प्रहार।

-०-

 

16 comments:

  1. बेहतरीन दोहे, कविताएँ, रचने के लिए रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  2. बहुत सुंदर दोहे और चोका भैया।उपमा शर्मा जी व प्रियंका गुप्ता जी बहुत सुंदर सृजन।आप सबको बधाई।

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  3. बहुत ही सुन्दर दोहे, चोका और कविता।

    आप तीनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 🌷💐

    सादर🙏

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  4. बहुत संवेदनशील रचनाएँ आद. रामेश्वर सर जी हृदयस्पर्शी 🙏🌹🌹🙏

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  5. आद. उपमा जी आद.प्रियंका जी बहुत ही श्रेष्ठ सृजन 🙏🌹

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  6. इतनी सुंदर रचनाएं नयी -नयी कल्पनाओं से सुशोभित पढकर जीवन में आनन्द और नये -नये विचारों की जो अनुभूति होती है वह वाणी का विषय नहीं |सभी रचनाकरों को हृदय से साधुवाद |श्याम हिन्दी चेतना

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  7. बहुत सुन्दर भावपूर्ण हैं सभी रचनाएँ. महिला दिवस पर महिला के विविध रूपों पर सारगर्भित रचनाएँ. काम्बोज भैया, उपमा जी एवं प्रियंका जी को बहुत बधाई.

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  8. आप सबकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक है। सबका धन्यवाद ।

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  9. ....साँझ हुई फिर रात भी, तरसे मन बेचैन , ...पंख कटे स्वर भी छिना, पंजों में भी पाश, ...मुक्त गगन में उड़ ज़रा,फैला अपने पंख , ....मैं 'मैं' ही रहूँ तो बेहतर,....तुम प्यार किससे करोगे ?, बहुत ही सुंदर
    रोना है मना / रोकती लोक-लाज ... चोका -पिंजरे में चिड़िया तो बहुत ही उम्दा
    सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक ... गुरुवर, उपमा जी, प्रियंका जी को बहुत बधाई

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  10. सुंदर रचनाओं हेतु रचनाकार त्रय को हार्दिक बधाई शुभकामनाएं

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  11. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएँ।
    आदरणीय भाई साहब, उपमा जी और प्रियंका जी को अनेकों शुभकामनाएँ!

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  12. बहुत सुंदर भावपूर्ण दोहे और चोका...आ.भाईसाहब,उपमा जी एवं प्रियंका जी को बहुत बधाई।

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  13. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएं। हार्दिक बधाई।

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  14. हॄदय में टीस जगाते अति सुंदर दोहे और चोका आदरणीय भैया । आपकी संवेदना और हॄदय की, काव्य की कोमलता को नमन 🙏
    डॉ उपमा और प्रियंका जी को भी सुंदर सृजन के लिए बहुत-बहुत बधाई ।

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  15. इतनी बेहतरीन रचनाओं के साथ मेरी कविता को भी स्थान देने के लिए आदरणीय काम्बोज जी का बहुत आभार |
    उपमा जी और आदरणीय काम्बोज जी को उनकी मर्मस्पर्शी रचनाओं के लिए बहुत बधाई

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  16. सुन्दर काव्य । सभी को बधाई । हिमांशु भाई की कविता मर्मस्पर्शी ।

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