दोनो ही रचनाएँ प्रेम की उदात्त भावभूमि की अत्यंत सहज एवं प्रभावी रचनाएँ हैं,जो लौकिक भाव को अलौकिक स्तर तक ले जाती है।सुदर्शन रत्नाकर जी को धरती पर आती बूँदों में,बारिश की लय में कल कल करते पानी के संगीत में,सोंधी मिट्टी की गंध में...सर्वत्र प्रिय की ही प्रतिच्छाया दिखती है,वहीं आदरणीय काम्बोज जी भी बड़े ही सहज रूप में कह देते हैं कि अँधियारा जब छाया होगा,तुमने दीप जलाया होगा।दोनो ही रचनाएँ मर्मस्पर्शी हैं।आप दोनों को नमन।
अंधियारे जब घिर कर आए
ReplyDeleteतुमने दीप जलाया होगा।
बहुत सुंदर ,भावपूर्ण अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई ।🙏
सारे रिश्ते बोझ बने थे
ReplyDeleteतुमने हाथ बँटाया होगा।
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
सुन्दर सृजन की आप दोनों को हार्दिक बधाई।
सादर
सुंदर कविताएं
ReplyDeleteअँधियारे जब धिर कर आए
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत भाव अभिव्यक्ति ।
तुम्हारे बिन
ReplyDeleteतुम सोंधी मिट्टी के कण कण में हो
मन को छूती पंक्तियाँ
अँधियारे जब धिर कर आए
ReplyDeleteतुमने दीप जलाया होगा।
बहुत खूब भैया
रचना
तुम जो आजाते सब सुन्दर हो जाता
ReplyDeleteप्यारी पंक्तियाँ
बधाई
रचना
बहुत सुंदर भावपूर्ण कविताएँ...आप दोनों को बहुत बधाई।
ReplyDeleteदोनो ही रचनाएँ प्रेम की उदात्त भावभूमि की अत्यंत सहज एवं प्रभावी रचनाएँ हैं,जो लौकिक भाव को अलौकिक स्तर तक ले जाती है।सुदर्शन रत्नाकर जी को धरती पर आती बूँदों में,बारिश की लय में कल कल करते पानी के संगीत में,सोंधी मिट्टी की गंध में...सर्वत्र प्रिय की ही प्रतिच्छाया दिखती है,वहीं आदरणीय काम्बोज जी भी बड़े ही सहज रूप में कह देते हैं कि अँधियारा जब छाया होगा,तुमने दीप जलाया होगा।दोनो ही रचनाएँ मर्मस्पर्शी हैं।आप दोनों को नमन।
ReplyDeleteअपने सपने तोड़ गए जब
ReplyDeleteमुझको धीर बंँधाया होगा।
बहुत ही सुंदर कविता गुरु जी।प्रेम,साथ,समर्पण आदि ढेरो भाव एक साथ लिपटे हुए।
सुदर्शन मैम बहुत ही प्यारी रचना है आपकी।भीगता मन मेरा तुम जो आ जाते।👌💐
बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन,, हार्दिक बधाई आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ, हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteसभी आत्मीय्जन को हार्दिक आभार्। आप सबकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल हैं।
ReplyDeleteअहा! प्रेम भी भीगी दोनों ही रचनाएँ बहुत ही सुंदर.....
ReplyDeleteतुमने हाथ बँटाया होगा ...
तुम जो आ जाते ...
आप दोनों को हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत, मन को छूती भावपूर्ण रचनाएँ ..आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई!
सारे रिश्ते बोझ बने थे
ReplyDeleteतुमने हाथ बँटाया होगा
दुनिया से जब धोखा खाया
प्यार तुम्हारा पाया होगा
अवलंब-आशा और विश्वास जगाती, प्रेरणा देती बहुत ही सुंदर रचना। आदरणीय भैया को नमन।
तुम धरती पर आती बून्दों में हो
तुम बारिश की लय में हो
कोमल भाव, बहुत ही सुंदर शब्द-संयोजन।
दोनों ही रचनाएँ बहुत प्रभावशाली, उत्तम
अपने सपने तोड़ गए जब …. मर्मस्पर्शी कविता …. नमन् आदरणीय
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