पथ के साथी

Monday, August 2, 2021

1121-दो कविताएँ

1-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'  




















2-सुदर्शन रत्नाकर



17 comments:

  1. अंधियारे जब घिर कर आए
    तुमने दीप जलाया होगा।
    बहुत सुंदर ,भावपूर्ण अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई ।🙏

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  2. सारे रिश्ते बोझ बने थे
    तुमने हाथ बँटाया होगा।

    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
    सुन्दर सृजन की आप दोनों को हार्दिक बधाई।

    सादर

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  3. सुंदर कविताएं

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  4. अँधियारे जब धिर कर आए
    बेहद खूबसूरत भाव अभिव्यक्ति ।

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  5. तुम्हारे बिन
    तुम सोंधी मिट्टी के कण कण में हो
    मन को छूती पंक्तियाँ

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  6. अँधियारे जब धिर कर आए
    तुमने दीप जलाया होगा।

    बहुत खूब भैया
    रचना

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  7. तुम जो आजाते सब सुन्दर हो जाता
    प्यारी पंक्तियाँ
    बधाई
    रचना

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  8. बहुत सुंदर भावपूर्ण कविताएँ...आप दोनों को बहुत बधाई।

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  9. दोनो ही रचनाएँ प्रेम की उदात्त भावभूमि की अत्यंत सहज एवं प्रभावी रचनाएँ हैं,जो लौकिक भाव को अलौकिक स्तर तक ले जाती है।सुदर्शन रत्नाकर जी को धरती पर आती बूँदों में,बारिश की लय में कल कल करते पानी के संगीत में,सोंधी मिट्टी की गंध में...सर्वत्र प्रिय की ही प्रतिच्छाया दिखती है,वहीं आदरणीय काम्बोज जी भी बड़े ही सहज रूप में कह देते हैं कि अँधियारा जब छाया होगा,तुमने दीप जलाया होगा।दोनो ही रचनाएँ मर्मस्पर्शी हैं।आप दोनों को नमन।

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  10. अपने सपने तोड़ गए जब
    मुझको धीर बंँधाया होगा।
    बहुत ही सुंदर कविता गुरु जी।प्रेम,साथ,समर्पण आदि ढेरो भाव एक साथ लिपटे हुए।

    सुदर्शन मैम बहुत ही प्यारी रचना है आपकी।भीगता मन मेरा तुम जो आ जाते।👌💐

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  11. बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन,, हार्दिक बधाई आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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  12. बहुत सुंदर रचनाएँ, हार्दिक बधाई ।

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  13. सभी आत्मीय्जन को हार्दिक आभार्। आप सबकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल हैं।

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  14. अहा! प्रेम भी भीगी दोनों ही रचनाएँ बहुत ही सुंदर.....
    तुमने हाथ बँटाया होगा ...
    तुम जो आ जाते ...

    आप दोनों को हार्दिक शुभकामनाएँ

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  15. बहुत ख़ूबसूरत, मन को छूती भावपूर्ण रचनाएँ ..आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई!

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  16. सारे रिश्ते बोझ बने थे
    तुमने हाथ बँटाया होगा
    दुनिया से जब धोखा खाया
    प्यार तुम्हारा पाया होगा

    अवलंब-आशा और विश्वास जगाती, प्रेरणा देती बहुत ही सुंदर रचना। आदरणीय भैया को नमन।

    तुम धरती पर आती बून्दों में हो
    तुम बारिश की लय में हो

    कोमल भाव, बहुत ही सुंदर शब्द-संयोजन।
    दोनों ही रचनाएँ बहुत प्रभावशाली, उत्तम


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  17. अपने सपने तोड़ गए जब …. मर्मस्पर्शी कविता …. नमन् आदरणीय

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