1-धूप-छाँव
अनिता मंडा
महामारी शिकारिन बिल्ली- सी आती है दबे
पाँव
जीवन लापरवाह-सा कबूतर
पंख फड़फड़ाता; माँगता है
ख़ैरियत।
झींगुर अब भी रोज़ बना रहे हैं नया संगीत
फूल बना रहे हैं इत्र,
पेड़ जुटे हैं ताज़ा फल देने में
पत्तियाँ उगल रही हैं प्राणवायु
ख़ुशियों वापस आ जाओ जीवन में
पतझड़ के बाद ज्यों आती
है बहार।
अमावस के बाद पूनम।
आओ हम बैठते हैं साथ
शिकायतों को बहा देते हैं क्षमा के दरिया में।
-0-
2-जिंदगी फिर हँसेगी
जिंदगी होगी फिर से हसीन
छूटे न मन से कभी ये यकीन
मौसम गरम है
रखें न मन में
कोई भरम
हवाओं का रुख़ भी
बड़ा बेरहम
संभलकर उठाएँ
अभी हर कदम
मिटेगी जल्दी
समय की ये तल्ख़ी
न होगा कोई गमगीन
ये पतझर का मौसम
आया क्यों बेमौसम!
पेड़ शाख़ पत्ते
कलियाँ नयी
रौनकें छीनी किसने
किया किसने दीन
स्तब्ध आसमान
सहमी जमीन
तूफान गुजरे
छत भी बचे
सुन ले दुआ
तू है नामचीन।
-0-
( चित्र' प्रीति अग्रवाल)
दोनों ही कवितायें सुंदर सकारात्मक सोच लिए!
ReplyDeleteमिटेगी जल्दी समय की यह तल्खी....
शिकायतों को बहा देते हैं क्षमा के दरिया में.....
अनिता जी और सुरँगमा जी को अनेकों शुभकामनाएँ!!
वाह ! सुन्दर, सकारात्मक विचार प्रस्तुत करती दोनों ही आशावादी कविताएँ...
ReplyDeleteसुंदर सृजन के लिए अनिता जी एवं सुरंगमा जी को हार्दिक बधाइयाँ
सुरंगमा जी बधाई सकारात्मक लिखा।
ReplyDeleteआभार, उत्साह बढ़ाने के लिए।
खुशियों वापस आ जाओ,,, जिंदगी फिर हँसेगी ,,,आशा का संचार करती बहुत सुंदर रचनाएँ एवं पेंटिंग। हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ। अनिता जी और सुरंगमा जी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ... अनिता जी एवं सुरंगमा जी को हार्दिक बधाई।
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ReplyDeleteसकारात्मक ,समसामयिक कविताएँ। ऐसी ही सोच की आवश्यकता है। बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई आप दोनों को।
ReplyDeleteकाम्बोज भैया और आप सभी के प्रति हार्दिक आभार।
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ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचनाएँ...प्रिय अनिता जी एवँ सुरंगमा जी को हार्दिक बधाई।
आशा का दीप जलाती दोनों कविताएँ! बहुत सुंदर! अनिता जी एवं सुरंगमा जी आपको बहुत बधाई!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
आशा जगाती सकारात्मक कविताओं के लिए आप दोनों को बहुत बधाई |
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