अंजू खरबंदा
रोटी -1
अक्सर जल
जाती है
मेंरे हिस्से
की रोटी
सबको गर्म
गर्म खिलाने
की चाहत
में
अपनी बारी
आते आते
तक
शुरू कर देती हूँ समेटा समेटी
इस चक्कर
में तवे
पर पड़ी
मेंरे हिस्से
की रोटी
जल जाती
है अक्सर!
********
रोटी-2
तरसती हूँ
गर्म रोटी
को
सबको खिलाते
खिलाते
आखिरी नम्बर
आते आते
ठंडी हो
जाती है
मेंरे हिस्से
की रोटी!
मायके जाने
पर
भाभी खिलाती
है
अपने हाथों
से बनाकर
गर्म गर्म
रोटी
उनको भी
पता है
बिन माँ
की बेटी
गर्म रोटी
में ढूँढती है
माँ का
प्यार!
**********
रोटी -3
चन्दा मामा
गोल गोल
मम्मी की
रोटी गोल
गोल
बचपन में
पढ़ी ये
कविता
अक्सर याद
आती है
पर मुझसे
नहीं बनती
गोल रोटी
!
मुझे रोटी
बनाना सिखाने
से
पहले ही
माँ चली
गईं!
-0-
अंजू खरबंदा ,दिल्ली
बहुत सुंदर भावपूर्ण कविताएँ। बधाई अंजू जी।
ReplyDeleteनमस्कार आदरणीय! आपके शब्द मेरे लिये अनमोल है । दिल से शुक्रिया
Deleteबहुत भावुक और मार्मिक कविता. बधाई अंजू जी.
ReplyDeleteह्रदय तल से आभार ❤
Deleteबहुत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया जी
Deleteबहुत ही भावपूर्ण सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई अंजू जी
आत्मीय आभार 🌹🌹
Deleteबहुत सुंदर, अंजु जी आपको बधाई!
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया
Deleteबहुत भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी कविताएँ।बधाई अंजू जी।
ReplyDeleteस्नेहिल आभार
Deleteप्रिय अंजू , रोटी पर तुम्हारी तीनों मर्मस्पर्शी कविताएँ हर आम लड़की के जीवन का प्रतिनिधित्व कर रही हैं । खूब बधाई ।
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया प्रिय दी❤
Deleteसंवेदनशील और मार्मिक रचनाएं, हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
ReplyDelete---परमजीत कौर'रीत'
अनमोल स्नेह के लिये ह्रदय तल से आभार
Deleteअनमोल स्नेह के लिये स्नेहिल आभार 🌹🌹
Deleteअंजु जी सुंदर भावपूर्ण कविता है हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी कवितायें, अंजू जी
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी और सहज रचना है, बहुत बधाई...|
ReplyDeleteसचमुच कितनी सहज अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबधाई
बहुत भावपूर्ण सुंदर रचनाएँ...हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण... हार्दिक बधाई अंजू जी।
ReplyDeleteमन को भिगोती 'रोटी'आपकी माँ और भाभी माँ के लिए प्यार और आदर जगा गई। मर्म छूती रचनाएँ। बधाई अंजू जी।
ReplyDelete