पथ के साथी

Tuesday, August 25, 2020

1025

 1-समय

कृष्णा वर्मा

 

समय बड़ा बलवान रे भैया

किसको दें इल्ज़ाम रे भैया

 

सतरंगी सपने थे पाले

वक़्त कर गया पल में काले

सींचा जिन्हें अमी  देकरके

वही दे गए दिल पे छाले।

 

आँखों में आँसू के धारे

वही दे गए जो थे प्यारे

उनको कुछ अहसास नहीं

झाग हुए हम पी-पी खारे।

 

दुख की लम्बी साँझ दे गए

हाथ ग़मों की  झाँझ दे गए

ऐसी पीड़ा शूल दे गए

ख़्वाब सभी निर्मूल हो गए।

 

हाथों से पतवार खो गई

नैया भी मझधार हो गई

कौन सुने अब किसे पुकारें

रह गए कितने दूर किनारे

पता न हम बेहोश थे भैया

या किस्मत का दोष था भैया

दिल में बचा मलाल रे भैया

समय बड़ा बलवान रे भैया।

 

-0-

2-अनिता ललित

 

पराए देश,

जो लगे अकेला

लाज़िम ही है!

अपनों में रहके भी

जो अकेलापन झेले –उसका क्या?

 

क्यों होता ऐसा -जिसका नाम

आपकी साँसें, हर पल गुने,

उसके लिए –आपका होना ...

बस! होना है!

दाल, चावल, रोटी –

ज्यों खाना ही है!

 

क्या चाहिए इस दिल को?

क्यों है इतना भारी –

जब है ख़ाली-ख़ाली!

 

क्यों इतनी अपेक्षाएँ?

जो दुःख पहुँचाती ख़ुद को?

ख़यालों का जंगल, सवालों के तूफ़ान, चु

भते काँटों -सी बातें –

ये कैसी बेचैन शख़्सियत है?

कहाँ गया वो सुकूँ का ख़ज़ाना?

यह कैसी दहशत सवार है मन में?

ये डर –खो देने का!

बार-बार खोने के बाद, फिर से खो देने का?

 

अपना था क्या, जिसे पा लेने की ज़िद है?

साथ लाये थे क्या, जिसे बाँधने का जुनूँ है?

सभी रिश्ते-नाते, ज़ेवर की तरह –

कुछ वक़्त तन-संग सजें,

फिर कुछ सिमटें, कुछ टूटें,

कुछ बोझ की तरह छूटें!

अपना साथ, ख़ुद अपने सिवा -

किसी ने कभीनिभाया है क्या?

-0-

21 comments:

  1. ग़मों की झाँझ -अच्छा लगा यह प्रयोग।
    लयपूर्ण रचना की बधाई कृष्णा जी

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  2. क्या चाहिए इस दिल को?

    क्यों है इतना भारी –

    जब है ख़ाली-ख़ाली!

    मन से बातें करती मन की कविता बहुत अच्छी लगी। ये ख़ाली सी अनुभूति शायद हर दिल का सामान है आजकल। बहुत बधाई अनिता जी।

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  3. भावपूर्ण कविता ।अपनों के बीच रह कर अकेलापन सहना आज की त्रासदी है।बहुत सुंदर कविता ।बधाई अनिता

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  4. समय बड़ा बलवान के भैया। समय कितने रंग बदलता है। बहुत सुंदर भाव ।मनमोहक कविता ।बधाई कृष्णा वर्मा जी।

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  5. kavitrisavita@gmail.com26 August, 2020 04:14

    कृष्णा जी की समय के बदलते रंगों पर और और अनिता जी की बहुत दार्शनिक कविता पढ़कर मन प्रफुल्लित हुआ आप दोनों को हार्दिक बधाई |

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  6. अकेलेपन की त्रासदी और रिश्तों की निरर्थकता को स्वर देती अनिता ललित जी की कविता तथा समय के निर्मम चक्र द्वारा दिये जा रहे दुःखों की पीड़ा को रेखांकित करती कृष्णा जी की कविता..दोनो ही वेदना की अभिव्यक्ति की सहज कविताएँ हैं।दोनो को बधाई।

    26 August, 2020 11:52

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  8. अपना साथ, ख़ुद अपने सिवा -
    किसी ने कभी, निभाया है क्या?
    .... सहज सरल शब्दों के साथ एक सटीक प्रश्नचिन्ह लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति।
    उत्कृष्ट लेखन के लिए बहुत बहुत बधाई एवम शुभकामनाएं

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  9. अपने सवालों के ज़वाब ख़ुद ही देती आप दोनों की सटीक सुंदर कविताएं💯🙏🙏

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  10. बहुत सुन्दर रचनाएँ ।भाव व अभिव्यक्ति दोनों ही प्रभावशाली ।
    हार्दिक बधाइयाँ ।

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  11. भावपूर्ण एवं सहज अभिव्यक्ति । रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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  12. कृष्णा वर्मा जी की रचना में समय बड़ा बलवान है एवं अनिता ललित जी ने दिल की इच्छाओं को उकेरा है ।
    सहज सुंदर कविताएँ -आप दोनों को बधाई ।

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  13. सुन्दर प्रस्तुति

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  14. दोनों रचनाएँ बहुत ही भावपूर्ण
    कृष्णा जी एवं अनिता जी को हार्दिक बधाइयाँ

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  15. वाह!बेहद सुंदर अभिव्यक्ति, कृष्णा जी और अनिता जी, आप दोनों को बधाई!!

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  16. सर्वप्रथम मेरी कविता को यहाँ स्थान देने हेतु आदरणीय भैया जी का बहुत-बहुत आभार!

    आ. कृष्णा दीदी ... सचमुच! समय बड़ा बलवान है, सबका हिसाब-किताब यहीं चुकता करेगा! भावपूर्ण एवं प्रभावशाली कविता हेतु बहुत बधाई आपको!

    आप सभी स्नेहीजनों की सराहना एवं उत्साहवर्धन के लिए हृदयतल से आभार!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  17. आदरणीय भाई काम्बोज जी का हार्दिक आभार।
    भावपूर्ण सृजन के लिए अनिता जी को बहुत-बहुत बधाई।

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  18. दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर एवँ भावपूर्ण !
    आद.कृष्णा दी एवँ प्रिय सखी अनिता जी को हार्दिक बधाई !!

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  19. बेहद सुन्दर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति!
    आदरणीया कृष्णा दीदी, अनिता दीदी को हार्दिक शुभकामनाएं!
    सादर!

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