1- बहुत याद आती है बचपन की वो जन्माष्टमी।
कमला
निखुर्पा
छुओ मत श्याम मेरी गगरिया गीत में नाचना ।
कान्हा की पालकी के साथ साथ
चलना
हाथी घोड़ा पालकी
‘जय कन्हैया लाल की’ जयकारे
लगाना।
बरबस ही आँखों में छा
जाती है नमी।
बहुत याद आती है बचपन
की वो जन्माष्टमी।
मंजीरा बजाते हुए रातभर कीर्तन करना
ठीक बारह बजे आरती में शामिल
होना ।
आरती के थाल में जलते दिए की लौ
को छूकर माथे से लगाना ।
फिर नन्हे- से सिक्के के खजाने को
थाल में अर्पित करना ।
यू/ण लगता कि मुस्काते कान्हा की आँखें हम पे ही है जमी ।
बहुत याद आती है बचपन
की वो जन्माष्टमी।
अब न जाने किसकी लगी नज़र
त्योहार आया और चला गया किसे खबर
हमने तो जिया है
अपनापन भरा बचपन
त्योहारों की खुशियाँ
पकवानों की खुशबू
आस्था का हिंडोला
गीतों का मेला
हमने तो पाया है
बड़ों का आशीष
छोटों का प्यार
आँचल का दुलार
मीठी फटकार
पर क्या
ये नई पीढ़ी
सिमट कर रह जाएगी
बस एक व्हाट्सएप्प के संदेश में ??
सच बहुत याद आती है
बचपन की जन्माष्टमी ।
-0-(11
अगस्त 2020)
-0-
2-मुरली
की तान
शशि
पाधा
1
बंसी ने जब जान ली, राधा- कान्हा प्रीत
सुर दूजा साधे नहीं , और न गाए
गीत।
2
ब्रज की भोली गोपियाँ, सुन मुरली
की तान
घुँघरू बाँधें पाँव में, अधर धरें
मुस्कान ।
कनक रंग राधा हुई, कारे- कारे
श्याम
दोपहरी की धूप से , खेल रही यूँ
शाम ।
राधा रानी गूँथती वैजन्ती की माल
श्यामा पहने रीझते राधा लाल गुलाल ।
ऊधो से जा पूछतीं अपने मन की बात
कान्हा ने विदेस से, भेजी क्या
सौगात ।
यमुना तीरे श्याम ने, खेली लीला
रास
लहर-लहर नर्तन हुआ, कण-कण बिखरा
हास ।
गुमसुम राधा घूमती, दिल से है
मजबूर
हर पंथी से पूछती, मथुरा कितनी
दूर।
कोकिल कूजे डार पे, गाये मीठे
गीत
ढूँढे सुर में राधिका, बंसी का
संगीत ।
सोचूँ जग में हो कभी, मीरा-राधा
मेल
दोनों सखियाँ खेलतीं, प्रीत-रीत
का खेल
पल छिन चुभते शूल से, क्षीण हुई
हर आस
कैसे काटे रात दिन, नैनन आस
निरास
-0-
सुन्दर रचनाएँ !शशि जी और कमला जी को बधाई और जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ...शशि जी, कमला जी आप दोनों को बहुत बधाई। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteमधुर दोहे शशि जी।
ReplyDeleteबचपन की जन्माष्टमी का स्मरण करती मीठी सी कविता कमला जी । सार्थक लेखन की बधाई।
सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की अनेक शुभकामनाएं | शशि जी और कमला जी की कविताओं ने और बचपन के सुहाने अनुभवों से मंत्रमुग्ध कर दिया | आप दोनो को हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteसच बहुत याद आती है
ReplyDeleteबचपन की जन्माष्टमी । सचमुच बहुत याद आती है वो बचपन की जन्माष्टमी | हमारे यहाँ झाँकी सजती थी और मैं कृष्ण बनती थी | लोग खूब पैसे चढ़ाते थे | फिर झूला बनाया जाता था कृष्ण जी का | आपने याद दिला दिए वो दिन | आभार आपका |
शशि पाधा
नमस्कार सब को | आदरणीय कम्बोज भैया को तथा आप सब को जन्माष्टमी की मंगल कामनाएँ | मेरे दोहे प्रकाशित करने के लिए आभार भैया |
ReplyDeleteशशि पाधा
शशि पाधा जी के दोहों ने मन मोह लिया वहीं कमला निखुर्पा जी की कविता बचपन मे ले गई,बहुत सही कहा उन्होंने--
ReplyDeleteहमने तो जिया है
अपनापन भरा बचपन
त्योहारों की खुशियाँ
पकवानों की खुशबू
आस्था का हिंडोला
....दोनों को हार्दिक बधाई
आप सबका आभार । जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर आप सभी को बधाई । आदरणीय भैया को कोटिशः नमन
ReplyDeleteराधा - कृष्ण पर जितना भी लिखा जाए कम है । अच्छी रचना ,आप दिनों को बधाई ।
ReplyDeleteपटल के सभी सदस्यों को जन्माष्टमी की राधे - राधे ।
राधे राधे!!
ReplyDeleteशशि जी आपके दोहों ने मंत्रमुग्ध कर दिया!! बड़ा आनन्द आया!
कमला जी हमारा बचपन वाकई निराला था, आपकी कविता ने खूब याद दिलाए वो सुहाने दिन!!
आप दोनो को बहुत बहुत बधाई!
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
कमला जी एवं शशि जी बहुत सुंदर रचनाएँ ।
ReplyDeleteहार्दिक बधाइयाँ
कमला जी एवं शशि जी बहुत सुन्दर रचनाएँ ।हार्दिक बधाइयाँ ।
ReplyDeleteकमला जी आपकी कविता ने बचपन में लौटा दिया। कीर्तन में शामिल होना और चाँद निकलने पर आरती के बाद प्रसाद लेना।वो दिन लौट कर नहीं आ सकते।
ReplyDeleteशशि जी मधुर, मनमोहक दोहे पढ़ कर आनन्द की अनुभूति हुई ।
आप दोनों को सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
बचपन की जन्माष्टमी वाली रौनक अब कहाँ! आज के बच्चे तो जानते भी नहीं वो सुंदर-सुंदर झाँकियाँ, जो देखने के लिए हम सब नींद से उठकर जाया करते थे, रात बारह बजे के बाद! बहुत प्यारे दिन थे। आ. कमला जी और शशि दीदी ...आप दोनों की रचनाएँ उसी तरह प्यारी हैं। हार्दिक बधाई!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
बचपन की मीठी यादों को ताज़ा करने वाली बहुत प्यारी कविता और मन को मोहने वाले मधुर दोहे,
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत रचनाएँ..आद.शशि जी,कमला जी आप दोनों को ब हार्दिक बधाई !
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर बचपन की स्मृतियों को सहेजते हुए बहुत सुन्दर कविताएँ , मीठे दोहे । कमला जी शशि जी मनभावन रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई ।
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