कनिका चतुर्वेदी
काश उसने मुझे समझा होता,
ज्यादा नहीं थोड़ा समझा होता,
सब कुछ जानकर अनजान रहा वो,
काश उसने मुझे समझा होता !
मेरे दिल की उलझन को उसने समझा होता,
अगर नहीं समझ रहा है,
तो उसने मुझसे पूछा होता,
काश उसने मुझे समझा होता !
काश उसने मुझे समझा होता,
थोड़ा अपना बताता, थोड़ा मेरी सुनता,
इस रिश्ते को सुन्दर बनाता,
काश उसने मुझे समझा होता !
माना की समय नहीं है उसके पास ,
पर मेरी बाते सुनने को
उसके पास समय होता,
काश उसने मुझे समझा होता !
अगर मैं कुछ बोलती उसको,
तो मेरी बातों पर ध्यान देता,
कोशिश करता मुझे समझने की,
काश उसने मुझे समझा होता !
जब बाते इतनी बिगड़ गई,
लगा जैसे सब बदल जाएगा,
तो अपना समय निकाल कर
उसने मुझे समझाया होता,
काश उसने मुझे समझा होता !
अगर सच में चाहता वो,
ये सब कुछ होने ही न देता,
और एक बार प्यार से मुझसे बोलता,
कि आई लाइक यू,
काश उसने मुझे समझा होता !
करने लगा हूँ मैं तुमसे प्यार,
अब कभी भी न करना दूर जाने की बात,
डरता हूँ मैं तुम्हे खोने से,
काश उसने मुझे समझाया होता,
काश उसने मुझे समझा होता !
एक बार कोशिश तो करता,
अपना मुझको मानता अगर,
मुझसे बात को करता सही,
चाहे समय नहीं उसके पास,
पर समय निकलता तो सही,
मुझ पर अपना हक रखता,
अपना बनाने की कोशिश करता तो सही,
काश उसने मुझे समझा होता !
जब सब बिखरने जा रहा,
तभी उसने बात की तो होती,
बोलता मुझसे न करो ऐसा,
मुझसे अलग न हो तुम,
अगर ऐसा करना ही था मुझे,
तो साथ तुम्हारा मैं क्यों चुनता,
काश उसने मुझे समझा होता !
एक बार कॉल लगाता तो सही,
एक बार बात करता तो सही,
अगर चाहता था वो मुझको,
एक कोशिश रोकने की करता तो सही,
काश उसने मुझे समझा होता !
फिर चाहे कैसे भी निकले,
अपना समय निकालता तो सही,
थोड़ी अपनी बोलता, थोड़ी
मेरी सुनता तो सही
एक बार और कोशिश करता तो सही,
अगर मुझे वो चाहता है,
काश वो मुझे समझा होता !
काश वो मुझे समझा होता !!
-0-
शिक्षा: एम कॉम,बी एड(अन्तिम
वर्ष)
सम्पर्क:74, चौबे जी का बाग़, फ़िरोज़ाबाद(उ प्र)-283203
काश उसने मुझे समझा होता। सुंदर भावाभिव्यक्ति।पहली कविता की हार्दिक बधाई कनिका। अशेष शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति। बधाई व शुभकामनाएँ कनिका।
ReplyDeleteभावना सक्सैना
सुन्दर अभिव्यक्ति ।बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ कनिका जी को ।
ReplyDeleteरिश्तों को बचाने के लिये एक दूसरे की भावनाओं को समझना और संवाद करना आवश्यक है,इस भाव को कनिका चतुर्वेदी ने बड़े ही सहज ढंग से व्यक्त किया है--काश उसने मुझे समझा होता-ये हर हृदय की वेदना है।कनिका जी को बधाई एवम शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता।
ReplyDeleteकनिका जी को हार्दिक बधाई
💐💐
काश और अगर जैसे शब्दों से वियोग का दर्द उभर आता है , श्रृंगार का दूसरा पक्ष अधिक मजबूत होकर प्रकट हुआ है ।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति , बधाई , कनिका जी ।
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteभावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteहार्दिक बधाइयाँ कनिका जी
सुंदर कविता, बधाई एवं शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति...हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ कनिका जी।
ReplyDeleteकनिका जी आपकी कविता बहुत ही सुंदर हैं, इसमें आजकल के युवाओं का दर्द आपने बहुत भावपूर्ण ढंग से बताया है, यह बात बिल्कुल सच है कि संवाद से अधिकतर मामले सुलझ सकते है, पर लोग पहल करने से डरते हैं, आप यूहीं मन के भाव लिखती रहिये, सुंदर रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई!!
ReplyDeleteकनिका ! तुम्हारी कविता पढकर आज के युवक समाज की वेदना को जिस प्रकार संबोधित किया है | अत्यंत हृदय स्पर्शी है | हमें तुम पर गर्व है और आशा है की आप इसी प्रकार लिखती रहें | आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ | श्याम हिंदी चेतना
ReplyDeleteकनिका तुमने बहुत खुले मन से भावों की अभिव्यक्ति की है काश तुमने मुझे समझा होता ... यही बात छोटे और बड़े सबके साथ घटित होती है समय समय पर |मेरी ओर से अनेक शुभकामनाएं इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए |
ReplyDeleteभावप्रवण अभिव्यक्ति प्रिय कनिका । रचना में भावों की गहनता है ।ए आत्मीय निवेदन है । खूबसूरत रचना की बधाई । शुभाशीष ।
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ReplyDeleteसुन्दर,भावपूर्ण अभिव्यक्ति...आपको बधाई व शुभकामनाएँ कनिका बेटा.. आपके उजले भविष्य की कामना करती हूँ !
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति...संवाद संबंधो की संजीवनी होते हैं।
ReplyDeleteकाश! कितनी अनबन, कितने विरोधों के बाद भी मन का यह प्रश्न जीवन में बहुत कुछ बदलने और कर गुजरने की इच्छा रखता है ... बहुत ही बेहतरीन लिखा आपने .... बधाई सहित शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुन्दर कविता
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ReplyDeleteमेरे आदरणीय सर को बहुत बहुत धन्यवाद की उन्होंने मेरी कविता को स्थान दिया | आप हमेशा से मेरी प्रेरणा रहे है आपका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहे | आप सभी लोगो का भी धन्यवाद जिन्होंने मेरी कविता को सराहा और मेरा मनोबल बढाया
ReplyDeleteकाश पर जाकर जीवन की कितनी चाहतें दम तोड़ देती हैं. बहुत सुन्दर रचना, बधाई कनिका जी.
ReplyDeleteमन की कोमल अनुभूतियों को व्यक्त करती इन सुन्दर पंक्तियों के लिए कनिका जी को बहुत बधाई...| लेखन की दुनिया में आपके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ...|
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