पथ के साथी

Thursday, November 14, 2019

937-मन से मन का नाता


मन से मन का नाता
डॉ. सुरंगमा यादव

मैं रख लूँगी मान तुम्हारा
तुम मेरा मन रख लेना
दर्द अकेले तुम मत सहना
मुझसे साझा कर लेना
मन की बात न मन में रखना
तुम चुपके से कह देना
मैं अपना सर्वस्व लुटा दूँ
नेह तनिक तुम कर लेना
देह कभी मैं बन जाऊँगी
तुम प्राणों-सा बस जाना
तुम से ही जीवन पाऊँ मैं
साँसों की लय बन आना
अनादि प्रेम की फिर अनुभूति
अन्तर्मन को दे जाना
देह बदलकर वेश नया धर
जग में हम फिर-फिर आएँ
गीत पुरातन बही प्रेम का
फिर मिलकर हम दोहराएँ
प्रीत पुनीत करे जो जग में
विधना के मन को भाता
देह से बढ़ कर होता है
मन से मन का एक नाता
-0-

14 comments:

  1. सुरँगमा जी बेहद खूबसूरत और सूक्ष्म भावों में डूबी रचना,बहुत बहुत बधाई आपको।
    प्रीत पुनीत करे जो जग में, विधना के मन को भाता....अति सुंदर!

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति...बहुत बधाई सुरंगमा जी।

    ReplyDelete
  3. सुंदर लयात्मक कविता की बधाई।

    ReplyDelete
  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 15 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  5. आप सभी का हृदयतल से पुनः पुनः आभार ।

    ReplyDelete
  6. प्रिय सुरंगमा जी, आज ऐसा प्रतीत हुआ , जो मैं नहीं कह पायी , वो आपने कह दिया। सखा भाव की सरल, सहज अभिव्यक्ति जो बेजोड़ है और अक्षुण्ण आत्मीय भावों से भरी है
    एक अभुतपूर्ण आत्मिक आनंद की अनुभूति दी है आपकी रचना ने। आपको कोटि आभार और शुभकामनायें इस प्यारी सी अनुराग भरी रचना के लिए 🙏🙏💐💐

    ReplyDelete
    Replies
    1. रेणु जी सार्थक टिप्पणी के लिए आभार। आप भी अपनी रचनाएँ भेज सकती हैं। भेजने के लिए ई मेल है - rdkamboj@gmail.com

      Delete
  7. रेणु जी इतनी सुन्दर टिप्पणी के लिए हृदय से आपके प्रति आभारी हूँ ।

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर संयोग शृंगार रचना।
    मन के समर्पित भाव लिए।

    ReplyDelete
  9. Bahut sundar kavitaa hai haardik badhaai surangmaa ji .khed hai hindi font kaam nahee kar rahaa hai .

    ReplyDelete
  10. बहुत ही सुंदर रचना है।

    ReplyDelete
  11. सुंदर रचना

    ReplyDelete

  12. बहुत ही खूबसूरत रचना है।हार्दिक बधाई सुरंगमा जी !!

    ReplyDelete