पथ के साथी

Saturday, June 22, 2019

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ग़ज़ल
रमेशराज

प्यार के, इकरार के अंदाज सारे खो गए
वो इशारे, रंग सारे, गीत प्यारे खो गए।

ज़िन्दगी से, हर खुशी से, रोशनी से, दूर हम
इस सफर में, अब भँवर में, सब किनारे खो गए।

आप आए, मुस्कराए, खिलखिलाए, क्यों नहीं?
नित मिलन के, अब नयन के चाँद-तारे खो गए।

ज़िन्दगी-भर एक जलधर-सी इधर रहती खुशी
पर ग़मों में, इन तमों में सुख हमारे खो गए।

फूल खिलता, दिन निकलता, दर्द ढलता अब नहीं
हसरतों से, अब ख़तों से सब नज़ारे खो गए।

तीर दे, कुछ पीर दे, नित घाव की तासीर दे
पाँव को जंजीर दे, मन के सहारे खो गए।

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर ।

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  2. बहुत सुंदर ग़ज़ल।

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  3. वाह क्या बात है ...ज़िंदगी भर एक जलधर सी इधर रहती खुशी ...... बहुत बढ़िया ग़ज़ल है रामेश्राज जी हार्दिक बधाई |

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  4. व्वाहहहह..
    सादर..

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  5. सुन्दर ग़ज़ल
    रमेश जी हार्दिक बधाइयाँ

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  6. बहुत सुंदर ग़ज़ल....हार्दिक बधाई आपको रमेश जी !

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