रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
मुक्तक
1
स्वर्ग नरक की बात करो मत,ये इस धरती पर होते हैं।
जहाँ खुशी हो स्वर्ग वहीं है,सदैव नरक जहाँ रोते हैं।
अपने वश में ये कब आए,थी डोर दूसरे हाथों में
खुशियों की राहों में आकर,अपने ही काँटे बोते हैं।
2
पत्थर से टकराओगे तो अपना ही सिर फोड़ोगे।
नए घाव अपनी क़िस्मत में तुम फिर खुद ही जोड़ोगे।
हर सच को भी झूठ समझना शामिल उनकी फितरत में
लोहा होता मुड़ ही जाता पत्थर कैसे मोड़ोगे।
3
1
स्वर्ग नरक की बात करो मत,ये इस धरती पर होते हैं।
जहाँ खुशी हो स्वर्ग वहीं है,सदैव नरक जहाँ रोते हैं।
अपने वश में ये कब आए,थी डोर दूसरे हाथों में
खुशियों की राहों में आकर,अपने ही काँटे बोते हैं।
2
पत्थर से टकराओगे तो अपना ही सिर फोड़ोगे।
नए घाव अपनी क़िस्मत में तुम फिर खुद ही जोड़ोगे।
हर सच को भी झूठ समझना शामिल उनकी फितरत में
लोहा होता मुड़ ही जाता पत्थर कैसे मोड़ोगे।
3
जो
कहते हैं लोकतन्त्र में खून बहाएँगे
समझो ये जनता से भी अब जूते खाएँगे।
लोकतंत्र में चोर व डाकू जो मिल एक हुए
इनको डर कि हार गए तो जेल में जाएँगे।
समझो ये जनता से भी अब जूते खाएँगे।
लोकतंत्र में चोर व डाकू जो मिल एक हुए
इनको डर कि हार गए तो जेल में जाएँगे।
-0-
त्रिपदी
समय बड़ा मुँहजोर अश्व रे
मन ! वल्गाएँ
कमज़ोर बहुत
जितना इनको हम हैं हेरते ,उतने बेलगाम हुए हैं
जितनी कोशिश की थी हमने उतने ही नाकाम हुए हैं।
जितना इनको हम हैं हेरते ,उतने बेलगाम हुए हैं
जितनी कोशिश की थी हमने उतने ही नाकाम हुए हैं।
बहुत सुंदर, सार्थक।
ReplyDeleteबगुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर प्रासंगिक रचनाएँ ।बधाई आदरणीय ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति! हार्दिक बधाई आदरणीय भैया जी!!!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
समसामयिक रचना लिखना हम सब रचनाधर्मियों का कर्तव्य है । हम सब को इन रचनाओं से प्रेरणा मिली । आभार और शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteअत्यंत गहन भावभूमि की त्रिपदी,एवम सामयिक सन्दर्भों के सुंदर सहज मुक्तकों हेतु बधाई आदरणीय काम्बोज जी।
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण एवं सामयिक रचना ।👌👌
ReplyDeleteभावपूर्ण मर्मस्पर्शी रचनाएँ आदरणीय रामेश्वर सर
ReplyDeleteआपको इस सृजन के लिए हार्दिक बधाई
प्रासंगिक तथा भावपूर्ण रचनाएँ...बधाई आदरणीय भैया जी !!
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...हार्दिक बधाई भाईसाहब।
ReplyDeleteआप सभी की प्रेरक भावानुभूति के लिए अनुगृहीत हूँ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteसटीक और यथार्थ को दर्शाती रचना । धारदार लेखन के लिए बधाई ।
ReplyDeleteसमसामयिक भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर
भावना सक्सैना
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति, शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteयथार्थ की अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सामायिक और यथार्थपरक...हार्दिक बधाई...|
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