कलम गा उनके गीत
डॉ. सुरंगमा यादव
कलम गा उनके गीत
जिन्होंने बदली रीत
दीपक बनकर
अँधियारों
से लड़ते
मरहम बन
पीड़ाएँ हरते
समय भाल पर
अंकित करते जो पद-चिह्न
बढ़ाते सबसे प्रीत
’स्व’ की अंधी दौड़ छोड़कर
परहित में सर्वस्व त्यागकर
नष्ट-भ्रष्ट कर जीर्ण पुरातन
सिंचित करते हैं मानव-मन
जग के हित जिनका
मौन हुआ जीवन संगीत
तूफानों से घिरे रहे जो
फिर भी सदा अडिग रहे जो
औरों को करने को पार
मोड़ गये नदिया की धार
बाधाओं को करें सदा जो
साहस से विपरीत ।
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सुंदर सकारात्मक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुंदर रचना। हार्दिक बधाई सुरंगमा जी
ReplyDeleteसुरंगमा यादव इन दिनों बहुत अच्छा लिख रही हैं बधाई |
ReplyDeleteसुंदर सृजन सुरंगमा जी ... हार्दिक बधाइयाँ
ReplyDeleteसकारात्मक भाव बोध की सुंदर रचना।बधाई डॉ. सुरंगमा जी
ReplyDeleteसुंदर रचना! हार्दिक बधाई सुरंगमा जी!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर, हार्दिक बधाई 💐💐
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सजीव रचना हेतु हार्दिक बधाई सुरंगमा जी।
ReplyDeleteप्रेरक सृजन!सुरंगमा जी..नमन
ReplyDeleteसुंदर सृजन...बधाई सुरंगमा जी।
ReplyDeleteसार्थक रचना
ReplyDeleteऔरों को करने को पार
ReplyDeleteमोड़ गये नदिया की धार
बाधाओं को करें सदा जो
साहस से विपरीत ।
वाह सुरंगमा जी, बहुत ही सार्थक एवं सकारात्मक कविता...
परोपकार की भावना से सजी सुन्दर रचना है सुरंगमा जी हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteबहुत सुंदर सुरंगम जी। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteभावना सक्सैना
कलम गा उनके गीत बहुत मधुर । सुरंगमा बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeleteआप सब ने मेरा उत्साहवर्धन किया, मैं हृदय तल से आप सभी के प्रति आभारी हूँ ।आदरणीय अग्रज काम्बोज जी को मेरी रचना प्रकाशित करने के लिए पुनः पुनः धन्यवाद ।
ReplyDeleteसाहसिक कार्यों का मूल्याकन करती बहुत सुंदर रचना बधाई
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