1-सौ-सौ नमन !
भावना
सक्सेना
सौ-सौ नमन
उन्हें जो लिख आए
‘जय हिंद’, धरा पर दुश्मन की।
कर आए हस्ताक्षर अपने
भर उड़ानें हौसलों की।
जग सोया नींद चैन की जब
वो थर्रा आए उस माटी को
पोषित करती जो कलुषित मन
है जननी आतंक के कर्दम की।
वो वीर बाँकुरे वायुपुत्र बाँच आए
दर्प देश के बल का अरि देहरी,
सौ नमन उन्हें जो लिख आए
'जय हिंद', धरा पर दुश्मन की।
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2-जो काश्मीर माँगा अबके
विपन कुमार
जिस धरा की रक्षा को,
दिन रात को दाव लगा बैठे,
शिव की पावन माटी पे,
हम लाखों वीर लुटा बैठे।
भारत के मस्तक की गरिमा,
जब भी संकट में आई है,
इस पर चलने वाली गोली,
हमने सीने पर खाई है।
शहीदों की सींची माटी को,
जब भी पाना चाहोगे,
कारगिल जैसा दोहराओगे,
तो
हर बार मुँह की खाओगे।
जन्नत की इस माटी का,
क्या तुमने हाल बनाया है,
लाखों के भाई छीने हैं,
अनगिन का का
सिंदूर मिटाया है।
याद रहे जिस दिन पानी,
सिर के ऊपर चढ़ जाएगा,
भारत का हर एक विरोधी,
सूली पर लटकाया जाएगा।
भारती की संतान हैं हम,
यही भाव मन में रखना होगा,
जो आँख दिखाएगा हमको,
उसे फल मौत का चखना होगा।
याद करो जब भी तुमने,
घाटी पर अत्याचार किया,
तुम ज्जैसे
गीदड़ झुंडो का,
सिंहों ने है शिकार
किया।
वो कैसे भूल हो गए तुम ,
जब आतंक मचाया था,
भारत के वीर
सपूतों ने,
झंडा लाहौर तक तुम्हें दौड़ाया था।
चुल्लू भर पानी डूब मरो,
कोई अपमान नहीं होगा,
जो काश्मीर माँगा अबके
तो पाकिस्तान नहीं होगा।
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भावभीनी रचनाएँ भावना जी एवं विपनजी को हार्दिक बधाइयाँ
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण रचनाएँ...भावन जी तथा विपिन जी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteभावना जी और विपिन जी शहीदों को नमन करती और मन में जोश भारती देशप्रेम से ओत प्रोत कवितायें हैं हार्दिक बधाई स्वीकारें |
ReplyDeleteदेश प्रेम से उपजी और वीरों को नमन करती उजली रचनाओं को हृदय -तल से नमन.....भावना जी तथा विपिन जी को हार्दिक बधाई !!
ReplyDeletevipin ji aur bhavna ji bahut sunder kavitayen viron ko salam hai
ReplyDeleterachana
विपिन जी सुंदर ओजपूर्ण रचना। बधाई
ReplyDeleteमेरी रचना को यहां स्थान देने के लिए बहुत आभारी हूँ।
उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए डॉ पूर्व, कृष्णा जी, सविता जी, ज्योत्स्ना जी और रचना जी का हृदय से आभार
सादर,
भावना
बहुत ओजपूर्ण रचनाएँ हैं दोनों...आप दोनों को बहुत बधाई...|
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ बहुत भावपूर्ण. आप दोनों को बधाई.
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