पथ के साथी

Sunday, January 27, 2019

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क्षणिकाएँ
प्रियंका गुप्ता
1
तुमने
शब्द कहे थे;
मैंने
अर्थ जी लिया ।
2
सूरज
कतरा -कतरा पिघलके
बह गया,
धरती बूँद बूँद
पीती गई;
ऐसे ही तो
सृष्टि बनी ।
3
मुझे
गीत बना गा लेना,
या
नज़्म की तरह
लिख लेना;
मैं हवा की तरह
तुम्हारे आसपास रहूँगा,
बिखर जाऊँगा
खुश्बू की तरह;
इश्क़ करने से ज़्यादा
बेहतर होगा
इश्क़ में घुल जाना ।
4
उसने धरती पर
फसल लिखी,
पौधों में
ज़िन्दगी पढ़ी,
और एक दिन
आसमान ताकते हुए
उसने मौत चुनी;
इस तरह
कहानी मुक़म्मल हुई ।
5
ज़िन्दगी मुझे
विष देती रहे
तुम छू के मुझे
अमृत कर देना;
खेल ऐसे ही तो जीतते हैं न ?
-0-

12 comments:

  1. कहे हुए शब्दों के अर्थ जी लेना, इससे सुंदर बात क्या होगी। बहुत सारी बधाई आपको।

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  2. गज़ब लिखा है आपने -

    तुमने
    शब्द कहे थे;
    मैंने
    अर्थ जी लिया ।

    कितना गहरा अर्थ है इन शब्दों में. सभी क्षणिकाएँ बेहद उम्दा. बधाई प्रियंका जी.

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  3. आदरणीय काम्बोज जी को मेरा हार्दिक धन्यवाद और आभार मेरी क्षणिकाओं को यहाँ स्थान देने के लिए |

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  4. गहरे अर्थ लिए हुए बहुत सुंदर क्षणिकाएँ।बधाई

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  5. Sunder kshanikayen


    तुमने
    शब्द कहे थे;
    मैंने
    अर्थ जी लिया ।
    Bahut khoob
    Rachana




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  6. बहुत सुंदर गहन क्षणिकाएँ। हार्दिक बधाई प्रियंका जी।

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  7. बहुत ही गहरे भाव लिए बहुत ही उम्दा सृजन।
    हार्दिक बधाई ।

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  8. शब्दार्थ - बहुत सुन्दर |सुरेन्द्रवर्मा |

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  9. गहन भावों से आपूरित उत्कृष्ट सृजन।बहुत-बहुत बधाई आपको ।

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  10. तुमने / शब्द कहे थे; /मैंने / अर्थ जी लिया ।
    ....तुम छू के मुझे / अमृत कर देना;
    प्रियंका जी बहुत ही भावपूर्ण सुन्दर क्षणिकाएँ ... हार्दिक बधाइयाँ

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