8 सितम्बर
2018 को 1:30- 4:30 अपराहन में हिन्दी प्रचारिणी सभा और हिन्दी चेतना की और से एक
संगोष्ठी का आयोजन मार्खम नगर की ‘मिलिक्न्स मिल्स लाइब्रेरी’ में किया गया । इस अवसर पर मार्खम क्षेत्र
के सांसद श्री बॉब सरोया जी द्वारा चार पुस्तकों और दो पत्रिकाओं के विशेषांकों का विमोचन भी किया गया । ये पुस्तकें थीं-लघुकथा का वर्त्तमान परिदृश्य (हिमांशु ),जरा रोशनी मैं लाऊँ ( डॉ.भावना कुँअर ) ,
घुँघरी (डॉ. कविता भट्ट ), तुम सर्दी की धूप ( हिमांशु ), और पत्रिकाएँ - हिन्दी चेतना ( यशपाल विशेषांक मुख्य सम्पादक
श्याम त्रिपाठी और सहयोगी सम्पादक-डॉ.भावना कुँअर ,डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा व डॉ.कविता भट्ट ) , सरस्वती सुमन -क्षणिका विशेषांक ( मुख्य सम्पादक डॉ. आनन्दसुमन सिंह , अतिथि सम्पादक हरकीरत हीर व हिमांशु )।
चारों पुस्तकों को सभा ने भवन में पोस्टर के रूप में प्रदर्शित भी किया था । इस कार्यक्रम के आयोजन पर
ओंटेरियो प्रांत के प्रमुख मंत्री ( मुख्य मंत्री ) आदरणीय ‘डग फोर्ड’ और वयोवृद्ध राजनेता आदरणीय ‘रेमण्ड चो’ के शुभकामना संदेश भी पढ़े गए ।
संगोष्ठी का आयोजन मार्खम नगर की ‘मिलिक्न्स मिल्स लाइब्रेरी’ में किया गया । इस अवसर पर मार्खम क्षेत्र
के सांसद श्री बॉब सरोया जी द्वारा चार पुस्तकों और दो पत्रिकाओं के विशेषांकों का विमोचन भी किया गया । ये पुस्तकें थीं-लघुकथा का वर्त्तमान परिदृश्य (हिमांशु ),जरा रोशनी मैं लाऊँ ( डॉ.भावना कुँअर ) ,
घुँघरी (डॉ. कविता भट्ट ), तुम सर्दी की धूप ( हिमांशु ), और पत्रिकाएँ - हिन्दी चेतना ( यशपाल विशेषांक मुख्य सम्पादक
श्याम त्रिपाठी और सहयोगी सम्पादक-डॉ.भावना कुँअर ,डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा व डॉ.कविता भट्ट ) , सरस्वती सुमन -क्षणिका विशेषांक ( मुख्य सम्पादक डॉ. आनन्दसुमन सिंह , अतिथि सम्पादक हरकीरत हीर व हिमांशु )।
चारों पुस्तकों को सभा ने भवन में पोस्टर के रूप में प्रदर्शित भी किया था । इस कार्यक्रम के आयोजन पर
ओंटेरियो प्रांत के प्रमुख मंत्री ( मुख्य मंत्री ) आदरणीय ‘डग फोर्ड’ और वयोवृद्ध राजनेता आदरणीय ‘रेमण्ड चो’ के शुभकामना संदेश भी पढ़े गए ।
सर्व प्रथम श्री श्याम त्रिपाठी जी ने चारों
पुस्तकों पर अपने विचार प्रस्तुत किए ।
तत्पश्चात् कृष्णा वर्मा
जी ने चारों पुस्तकों पर अपनी गंभीर विवेचना प्रस्तुत की , जिसे यथाशीघ्र यहाँ दिया जाएगा । इसके बाद हाइकु पर विशेष चर्चा के अंतर्गत मैंने विविध पक्षों पर विस्तार से बताया गया ।’ अंतःप्रकृति हो या बाह्य प्रकृति ,उसे हाइकु में बाँधना श्रमसाध्य नहीं, बल्कि भावसाध्य है। सूक्ष्म अति सूक्ष्म भाव को यदि तदनुरूप भाषा में बाँधना है , तो यह तभी सम्भव है ,जब हाइकुकार के पास रचनात्मक तन्मयता हो।’ विषय को सरल और व्यावहारिक बनाने के लिए कुछ उदाहरण भी दी गए । सम्मान और काव्य-पाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।
जी ने चारों पुस्तकों पर अपनी गंभीर विवेचना प्रस्तुत की , जिसे यथाशीघ्र यहाँ दिया जाएगा । इसके बाद हाइकु पर विशेष चर्चा के अंतर्गत मैंने विविध पक्षों पर विस्तार से बताया गया ।’ अंतःप्रकृति हो या बाह्य प्रकृति ,उसे हाइकु में बाँधना श्रमसाध्य नहीं, बल्कि भावसाध्य है। सूक्ष्म अति सूक्ष्म भाव को यदि तदनुरूप भाषा में बाँधना है , तो यह तभी सम्भव है ,जब हाइकुकार के पास रचनात्मक तन्मयता हो।’ विषय को सरल और व्यावहारिक बनाने के लिए कुछ उदाहरण भी दी गए । सम्मान और काव्य-पाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।
1-डॉ.सुधा
गुप्ता –
1-काठ के घोड़े, / चलता तन कर /माटी-सवार ।-
2- चाँदी की नाव / सोने के डाँड लगे /
रेत में धँसी ।-3- चिनार पत्ते / कहाँ पाई ये आग/ बता तो भला।- 4-दु:ख ने माँजा / आँसुओं ने धो डाला / मन उजला।-5-काजल आँज / नभ-शिशु की आँखों
/हँसी बीजुरी
-०-
-2-रामेश्वर काम्बोज –
1-सिन्धु हो तुम / मैं तेरी ही तरंग, / जाऊँगी कहाँ ?-2- लिपटी लता / लाख आएँ आँधियाँ
/तरु के संग। 3--घना अँधेरा / सिर्फ़ एक
रौशनी / नाम तुम्हारा।
3- डॉ.कुँवर
दिनेश
1-नदी
में बाढ़ / नेता-अधिकारी की /मैत्री प्रगाढ़। 2-प्रात: मंदिर / तनाव दिन भर/सायं मन्दिर ।
4-डॉ.भावना कुँअर
1-
फूल -गगरी
/टूटकर बिखरी /गन्ध छितरी। 2-घाटियाँ बोलीं-/वादियों में
किसने /मिसरी घोली?
3-चिड़िया रानी / खोज़ती
फिरती है /दो बूँद पानी।
5-डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1-काटें न वृक्ष / व्याकुल नदी-नद / धरा
कम्पिता । 2-पीर नदी की- / कैसे प्यास बुझाऊँ
/तप्त सदी की !
6-डॉ.कविता भट्ट
1-किसको कोसें ?/हर शिला के नीचे / भुजंग बसे ।-2-डाकिया आँखें / मन के खत भेजें / प्रिय
न पढ़े।
4-मैं ही बाँचूँगी / पीर-अक्षर पिय,
/ जो तेरे हिय।
एक भव्य अायोजन के लिए बहुत बहुत बधाई !
ReplyDeleteअद्भुत, कालजयी हाइकू है यह। मात्र १७ अक्षरों में जीवन का दर्शन
दु:ख ने माँजा / आँसुओं ने धो डाला / मन उजला।
आयोजन की बधाई। बहुत अच्छा लगा रिपोर्ट पढ़ कर। हाइकु पढ़ कर तो वाक़ई आनंद आ गया। सभी को बधाई।
ReplyDeleteKavita Bhatt11 September, 2018 09:11
ReplyDeleteआदरणीय श्री श्याम त्रिपाठी जी एवं श्री रामेश्वर काम्बोज जी आप दोनों ने विदेश की धरती पर हिन्दी के सशक्त हस्ताक्षर किए, जो स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेंगे आपको हार्दिक बधाई एवं साधुवाद। आदरणीया कृष्णा जी आपने एक श्रम साध्य एवं उल्लेखनीय कार्य किया, इसके लिए आपको हार्दिक बधाई एवं धन्यवाद भी। आत्मीय सहयोगी डॉ.भावना कुँअर जी को भी हार्दिक बधाई। मेरी पुस्तक को इस महत्त्वपूर्ण विमोचन अवसर पर सम्मिलित किया गया इसके लिए आदरणीय त्रिपाठी जी एवं काम्बोज जी दोनों को हार्दिक धन्यवाद। आशा है भविष्य में भी आप का आशीष मेरे सिर पर बना रहेगा। पुनः हार्दिक बधाई, शुभकामनाएँ एवं आभार
आदरणीया डॉ सुधा जी, डॉ दिनेश जी एवं डॉ ज्योत्स्ना शर्मा जी को भी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteभव्य आयोजन | सुन्दर हाइकु पाठ |
ReplyDeleteKamboj ji aur shyam ji hindi ke parti aapi udarta dekhte hi banti hai ye eak bahut badi uplabdhi hai sabhi ko meri hardik badhai,hanen garv hai aap par aur hamesha rahega aapka hindi ke ye prembhav aur ham rachnakaraon ka saat yun hi bana rahe yahi dua hai upar vale se.
ReplyDeleteइस सुंदर,सफल आयोजन के लिए आप सभी को हार्दिक बधाई ! हिन्दी और हाइकु के संवर्धन के समर्पित आपके प्रयास स्तुत्य हैं 🙏💐
ReplyDeleteसफल आयोजन के लिए आप सभी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteइतना पढ़ कर ही लग रहा कि बहुत अच्छा आयोजन रहा होगा | सबको बहुत बधाई...|
ReplyDeleteसफल आयोजन हेतु आदरणीय सर आपको एवं अन्य सभी हस्तियों को हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteआद.श्री हिमांशुजी तथा श्याम त्रिपाठी जी का विदेश की धरा पर अपनी प्यारी हिन्दी भाषा के लिए अथक परिश्रम करना अनुकरणीय हैl ये हम सभी के लिए बड़े गौरव की बात है !
ReplyDeleteआप सब के हाइकु भी पढ़े उच्चकोटि के हैं l
अति सुन्दर तथा भव्य अायोजन के लिए आप सभी को हृदय -तल से बधाई.... ये कारवाँ इसी तरह चलता रहे !!