डॉ कविता भट्ट
आज रजनीगंधा ने, उड़ेला सारा प्यार ।
साँसें महकीं प्रियतम-सी,जीवन हरसिंगार ।
2
तुम आते तो अच्छा होता, खुल जाते सभी कपाट।
लेकिन जाने की चिंता
में ,मन-सागर हुआ उचाट।
3
साँसों का आना-जाना प्रिय,ईश्वर
का वरदान ।
नागफनी- सा चुभे है तुम बिन, जीवन का प्रतिदान ।
उपकृत कर गए हमको ,तेरे
नैनों के संवाद।
स्वयं ही बोलें, सुनें स्वयं, कोई ना वाद विवाद ।
5
आपका आना चंदन-सा,
मधुऋतु के मधु अभिनंदन-सा ।
प्रतिपल यों ही बीते
सदा,
रति के मनोज को वन्दन-सा ।
-०-
[31/05/18-9.58 अप.]
(चित्र :गूगल से साभार )
(चित्र :गूगल से साभार )
कविता जी की रचनाएं सर्वदा ही संकेतपूर्ण ,भावुक और अनमोल विचारों से परिपक्त होती हैं | "सासों का आना जाना प्रिय , ईश्वर का वरदान | नागफनी सा चुभे है तुम बिन , जीवन का प्रतिदान |" कितनी मार्मिकता है | मेरा हृदय से साधुवाद ! भगवान आपकी लेखिनी से अभी अनेकों उत्तम रचनाओं की आशा है ........ श्याम त्रिपाठी हिन्दी चेतना
ReplyDeleteआपका आशीष मेरे लिए संजीवनी एवं भविष्यकालीन आशा भी। सादर नमन।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-06-2018) को "दो जून की रोटी" (चर्चा अंक-2990) (चर्चा अंक-2969) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
भावपूर्ण , बहुत सुंदर,सरस रचनाएँ!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई कविता जी!!
सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteअति सुन्दर प्रेमरस पूर्ण कवितायें क्या हृदय के सरल भावों की सुरसरी बहा दी हो जैसे ।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई कविता भट्ट जी ।
बहुत सुंदर सृजन कविता जी हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteतुम आते तो अच्छा होता, खुल जाते सभी कपाट।
ReplyDeleteलेकिन जाने की चिंता में ,मन-सागर हुआ उचाट।
मन की व्यथा का बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति हुई है...| मेरी हार्दिक बधाई...|
आदरणीय डा कविता जी बेहद खूबसूरत लिखते हो आप।
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