खोया-
खोया दिन रहा
रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
खोया-
खोया दिन रहा,आँसू
भीगी रात।
पलभर
को कब हो सकी,अपनों से भी बात।।
2
बाहर
छाया मौन था,भीतर
हाहाकार ।
मन
में रिसते घाव थे, हुआ
नहीं उपचार।
3
कहने
को तो भीड़ थी,आँगन
तक में शोर।
मेरे
अपने मौन थे,चला
न उन पर जोर।।
4
नींद
नहीं थी नैन में,सपने
कोसों दूर।
मन
की मन में ही रही,सब
कुछ चकनाचूर।।
5
जीवन
को बाँधे सदा, गहन
प्रेम वह डोर।
नेह
भाव से हों पगे, जिसके
दोनों छोर।।
6
तुम
बिन बैरिन रात है,तुम
बिन व्यर्थ विहान।
छुवन
तुम्हारी जब मिले ,पूरे
हों अरमान।।
7
खुशबू
चारों ओर से,लेती
मुझको घेर ।
तुम
आए हो द्वार पर,लेकर
आज सवेर।।
8
तेरे मन से जो
जुड़े,मेरे मन के तार।
रहना होगा साथ ले, साँसों की पतवार।।
-0-
मर्मस्पर्शी दोहे! अतिसुन्दर !
ReplyDeleteबाहर छाया मौन था,भीतर हाहाकार ।
मन में रिसते घाव थे, हुआ नहीं उपचार। --बहुत अच्छा लगा!
हार्दिक बधाई भैया जी!!!
~सादर
अनिता ललित
लाजवाब दोहे ....एक से बढ़कर एक!
ReplyDeleteजीवन को बाँधे सदा, गहन प्रेम वह डोर।
नेह भाव से हों पगे, जिसके दोनों छोर।।
बहुत - बहुत बधाई भैया जी !
बहुत भावभीने दोहे सभी !
ReplyDeleteबाहर छाया मौन था,भीतर हाहाकार ।
मन में रिसते घाव थे, हुआ नहीं उपचार... मर्मस्पर्शी !
बहुत बधाई .. सादर नमन आपको !!
वाह,समस्त दोहों में कवि के भावाकुल मन की सहज अभिव्यक्ति हुई है,पाठक/श्रोता को आल्हादित करने वाले दोहे अन्तर्मन को रससिक्त करने में समर्थ है..
ReplyDeleteकहने को तो भीड़ थी,आँगन तक में शोर।
मेरे अपने मौन थे,चला न उन पर जोर।।
...बहुत सुंदर एवम् प्रभावी दोहे।हार्दिक बधाई आदरणीय।
---शिवजी।
बहुत ही भावपूर्ण दोहे सभी मन को छूते हुए हुए ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई भैया जी
सभी सहृदय जन का अत्यंत आभार
ReplyDeleteसुन्दर दोहे । सचरेन
ReplyDeleteद्र वर्मा ।
बहुत सुंदर दोहे!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई!
सुन्दर दोहे बहुत ही भावपूर्ण । रससे भरे हुये ।बधाई रामेश्वर जी ।
ReplyDeleteबेहद सुंदर दोहे...बहुत-बहुत बधाई भाईसाहब।
ReplyDeleteविरह और शृंगार के भाव लिए हुए सुंदर दोहे
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!नमन सर
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण दोहे।
ReplyDeleteअति सुंदर, सारगर्भित दोहे, हार्दिक बधाई महोदय।
ReplyDeleteडाॅ वर्मा की ,डाॅ कुँवर दिनेश जी , भावना जी , कृष्णा जी ,सुनीता जी पूर्णिमा जी और डाॅ कविता जी आप सबका बहुर -बहुत आभार
ReplyDeleteबहुत सार्थक भाव- सौंदर्य से सजे दोहों के लिये बहुत बधाई आपको हिमांशु भाई ।
ReplyDeleteखोया- खोया दिन रहा,आँसू भीगी रात।
ReplyDeleteपलभर को कब हो सकी,अपनों से भी बात।
दुनिया में बहुत कम लोग समझ सकते हैं कि किसी अपने से हुई दो पल की बात भी दिन-रात के सकून की वजह बन सकती है...|
सभी दोहे बहुत मर्मस्पर्शी हैं, दिल की गहराइयों तक उतर गए...| हार्दिक बधाई...|