टूटी अश्रुमाल पिरोती
गुँथा मिलन कब हृदय सुचि से ,
टूटी अश्रुमाल पिरोती॥
शीतनिशा में हर पात
झरा है
पीर का बिरवा भी हुआ हरा है ।
मन-आँगन में घना अँधेरा है
यह आश्वासन से कब
सँवरा है ॥
उपहास किया करते सब कि मैं केवल भार हूँ ढोती …
गुँथा मिलन कब हृदय सुचि से ,
टूटी अश्रुमाल पिरोती ।॥
वंदनवार प्रिये उर-
द्वार पड़े ।
कुछ बादल मन- नभ
पर उमड़े
नहीं घटा अब कोई भी
घुमड़े ॥
दावानल में लहराती बरसने का सभी सुख खोती।
गुँथा मिलन कब हृदय सुचि से ,टूटी
अश्रुमाल पिरोती॥
कब आना होगा अब
इस उपवन
उन्मुक्त लताओं
का मैं मधुवन।
नवपुष्प खिले, भौरों के गुंजन
सजेगा तुम- संग विकसित
यौवन॥
पथ में प्रिय पुष्प बिछाते,
पर विरहन काँटों में सोती।
गुँथा मिलन कब हृदय सुचि से,टूटी
अश्रुमाल पिरोती॥
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शीतनिशा में हर पात झरा है
ReplyDeleteपीर का बिरवा भी हुआ हरा है ।
मन-आँगन में घना अँधेरा है
यह आश्वासन से कब सँवरा है ॥
सुंदर हृद्स्पर्शी रचना!
हार्दिक बधाई कविता जी!!!
~सादर
अनिता ललित
ReplyDeleteशीतनिशा में हर पात झरा है
पीर का बिरवा भी हुआ हरा है ।
मन-आँगन में घना अँधेरा है
यह आश्वासन से कब सँवरा है ॥
वाह !!!
बहुत सुन्दर रचना कविता जी...हृदय -तल से बधाई !
'पीर का बिरवा' ..अनुपम ! सुन्दर भावधारा !
ReplyDeleteबहुत बधाई कविता जी !!
बहुत ही अनुपम भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई कविता जी
'गुँथा मिलन कब हृदय सूचि से
ReplyDeleteटूटी अश्रुमाल पिरोती' एकदम नवीन उद्भावना।
बधाई कविता जी!
बहुत ही सुन्दर हृदय स्पर्शी रचना कविता जी ,बधाई
ReplyDeleteह्रदय को स्पर्श करती सुंदर भावपूर्ण रचना...कविता जी बधाई।
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी सृजन के लिए हार्दिक बधाई 👏👏👏👏
ReplyDeleteआप सभी ने मेरा उत्साहवर्धन किया , हार्दिक आभार, भविष्य में भी स्नेह बनाये रखिएगा।
ReplyDeleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २३ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' २३ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में दो अतिथि रचनाकारों आदरणीय सुशील कुमार शर्मा एवं आदरणीया अनीता लागुरी 'अनु' का हार्दिक स्वागत करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
हार्दिक आभार महोदय।
Deleteमर्मस्पर्शी सुन्दर अभिव्यक्ति के लियः बधाई कविता जी ।
ReplyDeleteपथ में प्रिय पुष्प बिछाते, पर विरहन काँटों में सोती।
ReplyDeleteगुँथा मिलन कब हृदय सुचि से,टूटी अश्रुमाल पिरोती॥
ये पीड़ा ह्रदय को मथ देती है...| एक खूबसूरत रचना के लिए मेरी ढेरों बधाई...|
हार्दिक आभार आपके द्वारा किये गए स्नेहयुक्त उत्साह वर्धन हेतु।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeletebahut khub!bahut bahut badhai..
ReplyDeleteआप सभी आत्मीय जनों को हार्दिक धन्यवाद।
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